अपराध

दो महीने के दर्द के बाद पत्नी-बच्चों को रोते-बिलखते छोड़ गया!

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बीती 23 फरवरी की रात का मंजर कुछ और था, गांव नगला परसी में 38 साल के धर्मपाल पुत्र लालाराम की जिंदगी की लड़ाई एक लाइसेंसी रिवाल्वर से चली गोली के चलते शुरू हुई थी। 🚀 उस रात शराब के नशे में धर्मपाल की मोहल्ला के निवासी विनोद पुत्र जालिम और नरेंद्र दाऊ पुत्र अजयपाल सिंह के बीच गाली-गलौज हुई थी। धर्मपाल ने घर से बाहर निकलकर इसका विरोध किया था। 🔥 इसी बात पर नरेंद्र ने अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली चला दी।

गोली धर्मपाल के कंधे में जा लगी थी। 💡 आनन-फानन परिजन उन्हें छर्रा के एक निजी अस्पताल ले गए, हालत गंभीर होने पर अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज रेफर कर दिया गया। पुलिस ने भाई रमेश की तहरीर के आधार पर जानलेवा हमले में अजयपाल उर्फ अतरपाल पुत्र रामपाल उमेश, सोनू, नरेंद्र उर्फ दाऊ पुत्र अजयपाल सिंह, दीपांशु पुत्र उमेश आदि के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया था। इसके बाद मुख्य आरोपी नरेंद्र उर्फ दाऊ पुत्र अजयपाल सिंह को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।

एक महीने तक मेडिकल में घायल धर्मपाल का उपचार चला, जिसके बाद छुट्टी कर दी। 1 मई को धर्मपाल की मौत हो गई।

मृतक अपने पीछे पत्नी सहित तीन बेटी व एक बेटे को रोते-बिलखते छोड़ गया। थाना प्रभारी सुनील तोमर ने बताया जानलेवा हमले का मुकदमा पहले से ही दर्ज है। उसी मुकदमे को हत्या में तरमीम किया जा रहा है।

मुख्य आरोपी नरेंद्र को पहले ही जेल भेजा जा चुका है अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश दी जा रही है। धर्मपाल की मौत ने उस के परिजनों में हंगामा मचा दिया था।

परिजनों ने बाकी फरार आरोपियों की गिरफ्तारी करने की मांग की। सूचना पर पहुंचे थाना प्रभारी सुनील तोमर ने परिजनों को कार्रवाई का आश्वासन दिया, इसके बाद मामला शांत हुआ। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। यह घटना समाज की उस कमजोर कड़ी की ओर इशारा करती है, जहां शराब और हथियारों के सहारे लोग अपने आप को बड़ा समझते हैं और इसका नतीजा यह होता है किसी की जान जाती है।

सरकार के लिए यह एक चुनौती है कि वह कैसे इन घटनाओं पर रोक लगा सकती है और लोगों को इन घटनाओं से बचा सकती है? धर्मपाल की मौत ने एक बार फिर से यह सवाल खड़ा कर दिया है कि हमारा समाज कितना सुरक्षित है? क्या हमारे पास पर्याप्त इंतजाम हैं, जिसके dưới हम अपने लोगों की जान बचा सकते हैं? सरकार के लिए यह एक चुनौती है कि वह कैसे इन घटनाओं पर रोक लगा सकती है और लोगों की जान बचा सकती है? इस घटना ने एक बार फिर से यह बता दिया है कि हमारे समाज में शराब और हथियारों के खतरे कितने ज्यादा हैं। हमारे समाज की यह एक बड़ी समस्या है, जिसके लिए हमें अपने आप को बदलना होगा। अगर हम नहीं बदलेंगे तो हमारा समाज और ज्यादा खतरा में आएगा।

इस घटना ने एक बार फिर से यह बता दिया है कि हमारे समाज में न्याय कितना मुश्किल है। हमारे समाज में न्याय पाना इतना आसान नहीं है, इतना मुश्किल है।

इतना मुश्किल है कि किसी की जान जाती है और उसके परिजन उसके लिए इंसाफ मांगते हैं। यह घटना एक बार फिर से यह बता दिया है कि हमारे समाज में न्याय कितना मुश्किल है, और हमारे समाज में न्याय कितना मुश्किल है, और हमारे समाज में न्याय कितना मुश्किल है? इतना मुश्किल है कि किसी की जान जाती है और उसके परिजन उसके लिए इंसाफ मांगते हैं।






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