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हाथ जोड़े गिड़गिड़ाए फिर भी नहीं पसीजा डॉक्टरों का दिल इमरजेंसी ठप लौटे 558 मरीज 👨⚕️
एएमयू के जेएन मेडिकल कॉलेज में 22 अप्रैल की रात दो गुटों के बीच हुई फायरिंग के बाद जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। इससे इमरजेंसी वार्ड में स्वास्थ्य व्यवस्थाएं ठप हो गईं। ✅
23 अप्रैल को 558 मरीज बिना इलाज कराए लौटने को मजबूर हुए। 🚀 इससे पहले मरीज और तीमारदार रोते-गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन डॉक्टरों का दिल नहीं पसीजा। 🌟
देर रात तक हड़ताल खत्म नहीं हुई थी। जेएन मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर मंगलवार की रात आठ बजे से हड़ताल पर हैं। सुबह तक अलीगढ़ सहित अन्य जिलों से आने वाले मरीजों-तीमारदारों को हड़ताल की जानकारी नहीं थी। जब वह मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी पहुंचे तो डॉक्टरों ने उन्हें भर्ती करने से इन्कार कर दिया।
वह डॉक्टरों से गिड़गिड़ाते रहे, लेकिन उनका दिल नहीं पसीजा। कहा, हड़ताल चल रही है।
इसलिए अपने मरीज को कहीं और ले जाएं। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि सुरक्षा के इंतजाम नहीं है, तभी आरोपियों ने असलहा से फायरिंग कर दी।
फायरिंग में गोली किसी को भी लग सकती है। हालांकि, यूनिवर्सिटी इंतजामिया जूनियर डॉक्टरों से हड़ताल खत्म कराने को लेकर बातचीत कर रही थी।
इस संबंध में प्रॉक्टर प्रो. मोहम्मद वसीम अली ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा के और व्यापक बंदोबस्त किए जाएंगे। ये रही हड़ताल की वजह एएमयू के एथलेटिक्स मैदान पर 22 अप्रैल को राइडिंग क्लब की ओर से आयोजित हॉर्स शो में पीछे हटकर बैठने की बात पर दो गुटों के बीच लात-घूंसे चल गए थे।
दोनों पक्षों के घायल साथियों के साथ जेएन मेडिकल कॉलेज में पहुंचे थे। यहां फिर से दोनों गुट आपस में भिड़ गए थे।
मारपीट के साथ कई राउंड फायरिंग भी हुई। इसके बाद डॉक्टर हड़ताल पर चले गए। बुखार से पीड़ित हूं, इलाज कराने के लिए आई थीं।
मेडिकल कॉलेज सुबह 9 बजे पहुंचीं, तब पता चला कि जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। डॉक्टर से कहा कि काफी दूर से आई हूं, लेकिन वह हड़ताल का हवाला देकर चले गए। मुझे पथरी की समस्या है।
दर्द उठता रहता है। इलाज के लिए आई थीं। इमरजेंसी पर तैनात सुरक्षाकर्मियों ने बताया कि जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल है। इससे निराश हो गई।
अब मुझे निजी अस्पताल में दिखाना पड़ेगा। पैर में कई दिनों से सूजन है। समय निकालकर आया था। यहां पता चला कि जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं।
हड़ताल की वजह से मुझे काफी परेशानी हुई। समय और धन की हानि हुई है।
मेरे बच्चे का पैर टेढ़ा हो गया है। लोगों ने बताया कि जेएन मेडिकल कॉलेज में इसका इलाज हो जाएगा। जब मेडिकल कॉलेज आया, तो मुझे काफी परेशानी हुई। अब दोबारा फिर आना पड़ेगा।
हड़ताल से पीड़ा हुई है। छत से बनवारी लाल गिर गए थे। उन्हें काफी चोटें आई थीं।
निजी अस्पताल में रेफर कर दिया गया था। मरीज को जेएन मेडिकल कॉलेज लाए थे, लेकिन हड़ताल की वजह से मरीज को भर्ती नहीं कर सका है। सड़क दुर्घटना में रंजीत के सिर और पैर में चोट लग गई थी। निजी अस्पताल से रेफर कर दिया गया था।
रंजीत को जेएन मेडिकल कॉलेज लाए थे। जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से मुझे वापस लौटना पड़ा। जेएन मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के चलते मलखान सिंह जिला अस्पताल और डीडीयू अस्पताल की ओपीडी में काफी भीड़ रही।
जिला अस्पताल में 1600 जबकि डीडीयू में 1500 मरीज आए।