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निबंधन कार्यालयों के निजीकरण से क्या होगा? वकीलों, कातिबों और स्टांप वेंडरों का हड़ताल!
निबंधन कार्यालयों में फ्रंट आफिस खोलने के विरोध में सिविल बार एसोसिएशन के आह्वान पर वकीलों, कातिबों, टाइपिस्टों और स्टांप विक्रेताओं ने सोमवार को हड़ताल पर रहने का फैसला लिया। उनका मानना है कि सरकार निबंधन कार्यालयों का निजीकरण करना चाहती है, जिसका मतलब है कि सरकारी तंत्र को चलाने में सरकार असफल हो गई है। इस मुद्दे पर सिविल बार एसोसिएशन के महामंत्री संजय कुमार शर्मा ने कहा कि सरकार, रेल सहित कई विभागों का निजीकरण करती जा रही है। ✨ इससे स्पष्ट है कि सरकारी तंत्र को चलाने में सरकार असफल हो गई है। ✅
सभी विभागों का निजीकरण करना चाहती है। इसका भुगतान आम जनता को टैक्स से अलग कंपनी को करना पड़ रहा है, क्योंकि कंपनी को सरकार से धन नहीं मिलता। ✨ इससे कंपनियां जनता का शोषण कर अपना मुनाफा कमाती हैं। पीपीपी मॉडल पर फ्रंट ऑफिस सिस्टम खोलने और निबंधन मित्र की भर्ती पर विरोध जताया गया है।
कहा गया है कि सभी अधिवक्ता मंगलवार से न्यायिक और निबंधन कार्य से विरत रहेंगे। तहसील में धरना और विरोध प्रदर्शन में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अमर सिंह, बृजवासी लाल, भूपेंद्र शर्मा, पंकज शर्मा, राजकुमार, चंद्रभान, अनिल चौधरी, बलबीर सिंह, बनवारीलाल, शीशपाल शर्मा आदि मौजूद रहे। यह मुद्दा न केवल निबंधन कार्यालयों का निजीकरण बल्कि पूरे देश में सरकारी तंत्र का निजीकरण है। इससे सरकारी कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है और आम जनता का मुनाफा कम होगा।
इससे सरकारी कर्मचारियों का भविष्य अनिश्चित हो सकता है। यह मुद्दा सरकार और लोगों के बीच की लड़ाई है। सरकार की नीति के खिलाफ लोगों ने अपना विरोध जताया है। लोगों ने कहा कि सरकार नीति के कारण से सरकारी तंत्र का निजीकरण होगा और इससे सरकारी कर्मचारियों की नौकरी जा सकती है।
लोगों ने सरकार से मांग की है कि वो अपनी नीति को बदले और सरकारी तंत्र का निजीकरण न करें। लोगों ने कहा कि सरकारी कर्मचारियों की नौकरी जाने का मतलब है कि सरकारी का निजीकरण हो गया हो। लोगों ने सरकार से मांग की है कि वो अपनी नीति को बदले और सरकारी कर्मचारियों की नौकरी जाने से बचाव करें।