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सहपऊ में हुई 16 फुट ऊंची, 140 क्विंटल वजनी हनुमान जी की मूर्ति 💪🏼 स्थापित, राजस्थान के सीकर से मंगाई
सहपऊ कस्बे की शंकर मंडी के मुख्य मार्ग पर स्थित महादेव मंदिर के प्रांगण में 19 अप्रैल् को 16 फुट ऊंची एवं 140 क्विंटल वजनी हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा धूमधाम से की गई। राजस्थान के सीकर जिले से एक बड़े वाहन से इस मूर्ति को यहां लाया गया। ✨ इसको दो बड़ी क्रेनों की सहायता से बेहद सावधानी के साथ उतारा गया। 🔥 मूर्ति को उतारते समय वहां पर मौजूद सैकड़ों लोग जय हनुमान एवं जय श्रीराम के नारे लगाते रहे। 🚀
इससे पहले सुबह कस्बे में हनुमान जी की छोटी मूर्ति के साथ नगर भ्रमण शोभायात्रा भी निकाली गई। पंडित सत्यम गौड़ ने विधि-विधान से हवन एवं पूजन कर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा कराई। हनुमान जी की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद भोग अर्पित किया गया।
भोग लगाने के बाद प्रसादी वितरित की गई। इस दौरान संजय वार्ष्णेय, कन्हैया लाल, विनोद भाटिया के अलावा काफी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। इस विशालकाय मूर्ति को राजस्थान के सीकर जिले में पांच कारीगरों ने चार महीने की मेहनत से तैयार किया। इसको सफेद पत्थर से बनाया गया है।
सीकर में ही दो क्रेनों की मदद से बारह टायर वाले ट्रक पर लगभग चार घंटे की मशक्कत से इसको लोड किया गया। सीकर से सहपऊ आने तक छह से सात घंटे लगे।
सहपऊ आने के बाद दो क्रेनों की मदद से छह घंटों में इसको उतारा गया। इसके बाद मंदिर में स्थापित किया गया। इस दौरान भिखारी लाल वार्ष्णेय, शिव शंकर वार्ष्णेय, त्रिलोकी भाटिया, विनोद बारिया, राज कुमार बाबरिया, टिंकू और दीपक का सहयोग रहा।
सहपऊ की प्रतिष्ठित इलेक्ट्रॉनिक्स एंड फर्नीचर फर्म के संचालक संजय वार्ष्णेय हनुमान जी के प्रति अगाध श्रद्धा रखते हैं। उन्होंने बताया कि इस मूर्ति की स्थापना कराने की प्रेरणा उन्हें हनुमान जी की कृपा से ही मिली।
इसके बाद उन्होंने परिजनों से सलाह ली। उनकी राय जानने के बाद अन्य श्रद्धालुओं के साथ राजस्थान के सीकर जिले में जाकर मूर्ति पसंद की और उसका भुगतान कर दिया।
संजय ने इसकी कीमत नहीं बताई है। बस इतना ही कहा कि सब हनुमान जी की कृपा से हुआ है...।