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स्पोर्ट्स कोटा की मौत: 65 साल पुरानी परंपरा का अंत, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने किया खेल का हत्या

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अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने एक ऐसा फैसला लिया है जिससे खिलाड़ियों मेंShock और हैरानी है। ✨ 65 साल से चली आ रही स्पोर्ट्स कोटा व्यवस्था को खत्म कर दिया गया है।

यह फैसला ना सिर्फ खिलाड़ियों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी एक बड़ा झटका है। इस फैसले के बाद कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। क्या अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ने सही फैसला लिया? क्या स्पोर्ट्स कोटा व्यवस्था के खत्म होने से देश के खेल की संभावनाओं को नुकसान होगा? इन सवालों के जवाब खोजने से पहले हमें इस व्यवस्था के इतिहास और Importance को समझना होगा। स्पोर्ट्स कोटा व्यवस्था 1960 में शुरू हुई थी। 🌟

तब से लेकर अब तक इस व्यवस्था से हजारों खिलाड़ियों ने दाखिला लिया और अपने अपने खेल में नाम कमाया। यह व्यवस्था ना सिर्फ खिलाड़ियों के लिए बल्कि देश के लिए भी एक बड़ा अवसर था।

लेकिन अब इस व्यवस्था के खत्म होने से खिलाड़ियों में निराशा है। 💡 अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के इस फैसले के बाद कई खिलाड़ियों ने अपना एतराज जताया है। वे कहते हैं कि सरकार एक तरफ खेल के विकास के लिए प्रयास कर रही है तो दूसरी तरफ यूनिवर्सिटी खेल के हत्यारे बनने पर अड़ी हुई है। यह फैसला ना सिर्फ खिलाड़ियों के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी एक बड़ा झटका है।

इस फैसले के बाद यूनिवर्सिटी के मैदान से निकले कई खिलाड़ियों ने अपना दर्द बयां किया है। वे कहते हैं कि वे यहां से निकले और अपने अपने खेल में नाम कमाया।

लेकिन अब इस व्यवस्था के खत्म होने से उनके सपने टूट गए हैं। वे कहते हैं कि सरकार को इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए। यह फैसला ना सिर्फ अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए बल्कि पूरे देश के लिए भी एक बड़ा झटका है।

यह फैसला पूरे देश के खेल की संभावनाओं के लिए खतरा है। इसलिए हमें इस फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए और खेल के विकास के लिए प्रयास करना चाहिए।






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