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सावन की दिव्यता में डूबे शहर के शिवालय, महादेव का हुआ जलाभिषेक!
सावन की शुरुआत होते ही बृहस्पतिवार रात 12 बजते ही शहर के शिवालय बम-बम भोले के जयकारों से गूंज उठे। बड़ी संख्या में भक्तों ने भगवान भोलेनाथ पर जल और दूध अर्पित किया, बेलपत्र-धतूरा आदि चढ़ाकर पूजा की। ✨ शहर के श्री अचलेश्वर मंदिर, श्री खेरेश्वर मंदिर, मंगलेश्वर महादेव मंदिर में भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक कर उनका पूजन किया। सावन मास का महत्व है भगवान शिवशंकर और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना में। 🚀
इस महीने में कांवड़ यात्रा करना भी शिव की आराधना में शामिल है। ✅ सावन के पहले सोमवार को भक्तों की भीड़ मंदिरों में उमड़ेगी। वे मंदिरों में पहुंचकर शिवलिंग का अभिषेक करेंगे। इसके साथ ही रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र का जाप आदि धार्मिक अनुष्ठान भी होंगे।
शहर के सभी मंदिरों में सावन मेले की तैयारियां शुरू हो गई है। इस बार पहला सोमवार 14 जुलाई को पड़ रहा है। इसलिए मंदिरों में विशेष तैयारी की जा रही है। अचलेश्वर धाम मंदिर, खेरेश्वर धाम मंदिर एवं गभाना के श्री सिद्धनाथ भुमियां बाबा आश्रम में बैरिकेडिंग लगाई जा रही है, क्योंकि यहां बहुत भीड़ रहेगी।
मंदिरों में तैयारियां तेज कर दी गई हैं। साफ- सफाई का काम भी तेजी से शुरू हो गया है। सावन मास के दौरान शहर के शिवालयों में एक अलग ही स्वरूप देखने को मिलता है।
मंदिरों में सजावट, पूजा सामग्री और प्रसाद की व्यवस्था की जा रही है। शिव भक्तों के लिए यह मास एक विशेष महत्व रखता है। वे इस मास में व्रत रखकर भगवान शिव की पूजा करते हैं।
मंदिरों में विशेष पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है। शिव पूजा का महत्व इसलिए भी है क्योंकि यह भगवान शिव की पूजा है जिनके ज्योतिर्लिंग पार्वती माता के प्रिय स्वरूप हैं। सावन मास में कावड़ यात्रा का आयोजन किया जाता है जिसमें शिव भक्त कांवड़ उठाकर शिवलिंग की पूजा करते हैं।
यह एक अद्भुत नजारा होता है जब हजारों शिव भक्त कांवड़ उठाकर शिवलिंग की पूजा करते हैं। सावन मास के दौरान शहर का माहौल एक अलग ही होता है।
मंदिरों में पूजा और आरती का आयोजन किया जाता है और शिव भक्तों का मेला लगता है। यह एक संस्कृति का प्रतीक है जिसमें लोग भगवान शिव की पूजा करते हैं। सावन मास के दौरान शहर में एक अलग ही तरह का उत्साह देखने को मिलता है और लोग भगवान शив की पूजा में डूबे रहते हैं।