अपराध

सत्यम कोल्ड स्टोरेज के चौकीदार ने क्यों की आत्महत्या? परिवार का भविष्य अब किसके कंधे पर?

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सत्यम कोल्ड स्टोरेज के चौकीदार राजकुमार की आत्महत्या ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। क्या था वह कारण जिसके चलते 42 साल के राजकुमार ने अपनी जान दे दी? क्या पोस्टमार्टम रिपोर्ट में आत्महत्या बताती है? क्या सरकारी मदद से परिवार को उम्मीद है? इन सभी सवालों के जवाब में हमारी पड़ताल शुरू होती है। सत्यम कोल्ड स्टोरेज में तैनाति चौकीदार राजकुमार ने शुक्रवार की रात को आत्महत्या कर ली थी। 💡

यह खुलासा पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद हुआ है। राजकुमार इस कोल्ड स्टोरेज पर चौकीदार थे। 🌟 शुक्रवार की रात को उनका शव कोल्ड स्टोरेज के ऊपर के चैंबर में गमछे के फंदे से लटका मिला था। ✨

शव मिलने के बाद उनके परिजनों और ग्रामीणों ने काफी हंगामा किया था। पुलिस ने रात में ही उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया था। शनिवार दोपहर को शव आने से पहले उनके परिजनों ने सत्यम कोल्ड स्टोरेज के सामने सादाबाद-जलेसर मार्ग पर जाम लगाया था और बाद में वह यहीं पर धरने पर बैठ गए थे।

परिजनों ने कोल्ड स्टोरेज मालिकों और कर्मचारियों पर हत्या का आरोप लगाया था। शनिवार की देर शाम पोस्टमार्टम के बाद गांव में शव आने पर फिर हंगामा हुआ था।

एसडीएम संजय कुमार और कार्यवाहक सीओ श्यामवीर सिंह ने समझा-बुझाकर उन्हें शांत किया था। शनिवार की देर रात राजकुमार के शव का गमगीन माहौल में अंतिम संस्कार किया गया था। सीओ हिमांशु माथुर ने बताया कि चौकीदार के शव का पोस्टमार्टम चिकित्सकों के पैनल ने किया था। रिपोर्ट में मौत का कारण लटककर मौत होना आया है।

कोतवाली पुलिस इस मामले में वैधानिक कार्रवाई कर रही है। चौकीदार के परिवार के सामने खड़ी हुई भरण-पोषण की समस्या। गांव गढ़ी खंजमा निवासी चौकीदार राजकुमार ने अपने पीछे पत्नी सुमन, बड़ी पुत्री मोनिका, छोटी पुत्री राधे और एक पुत्र श्यामू का बिलखते हुए छोड़ा है।

राजकुमार पांच भाई हैं। सभी अलग-अलग रहते हैं।

अब राजकुमार के परिवार के भरण-पोषण की पूरी जिम्मेदारी उनकी पत्नी के कंधों पर आ गई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत का कारण आत्महत्या आने के बाद परिवार को सरकारी मदद मिलने की उम्मीद भी खत्म हो गई है। राजकुमार की बड़ी पुत्री पढ़ने में होशियार है। उसने इस साल नवोदय विद्यालय में 12वीं की परीक्षा दी है।

छोटी बेटी कक्षा नौ एवं बेटा कक्षा आठ में पढ़ता है। पत्नी के सामने यह सवाल खड़ा हो गया है कि वह अकेले कैसे परिवार की जिम्मेदारी उठा पाएगी।

राजकumar के परिवार के लिए यह एक बड़ा सवाल है कि अब उनके परिवार की भरण-पोषण की जिम्मेदारी कौन उठाएगा? कुल मिलाकर, यह एक ऐसा मामला है जिसमें सरकारी मदद की आवश्यकता है। परिवार के लिए यह एक बड़ा संकट है कि अब उनके परिवार की जिम्मेदारी उठाएगा. यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह इस परिवार की मदद करे. लेकिन सवाल यह है कि सरकार कब तक मदद करेगी? कब तक परिवार के संकट दूर होंगे? इन सभी सवालों के जवाब में हमारी पड़ताल शुरू होती है।






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