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करणी सेना में बड़ा फेरबदल, ज्ञानेंद्र चौहान की पदोन्नति और शेखर सिंह की यूपी कमान!
करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष द्वारा लिए गए एक बड़े फैसले ने राजनीतिक हलकों में तहलका मचा दिया है। 16 अप्रैल को यूपी के प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह चौहान को अनुशासनहीनता के चलते पद से हटा दिया गया था। ✨ अगले दिन 17 अप्रैल को उनकी पदोन्नति करते हुए राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दे दी गई। 🚀
करणी सेना के पूर्व में राष्ट्रीय अध्यक्ष व वर्तमान में यूपी प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर शेखर सिंह चौहान ने अमर उजाला डिजिटल से बातचीत में बताया कि 16 अप्रैल को यूपी की पूरी कार्यकारिणी को भंग कर प्रदेश अध्यक्ष पद से ज्ञानेंद्र सिंह चौहान को भी पदमुक्त कर दिया गया था। ✅ ज्ञानेंद्र सिंह चौहान को अब राष्ट्रीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष की जिम्मेदारी दी गई है। करणी सेना के युवा मोर्चा राष्ट्रीय अध्यक्ष व करणी सेना के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री ठाकुर मनोज सिंह चौहान ने अमर उजाला डिजिटल से हुई बातचीत में बताया कि करणी सेना में अनुशासनहीनता को लेकर कुछ शिकायतें मिलीं थीं, जिसके आधार पर 16 अप्रैल को यूपी की कार्यकारिणी भंग कर प्रदेश अध्यक्ष ज्ञानेंद्र सिंह चौहान को हटा दिया गया था।
शिकायतों की विवेचना करने के बाद अगले दिन 17 अप्रैल को कोर कमैटी ने संगठन में कुछ बदलाव किए। जो सही पाए गए उन्हें सम्मान से संगठन में दायित्व दिया गया है, जबकि जो दोषी पाए गए हैं, उन्हें संगठन से हटाया गया है। करणी सेना के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री ठाकुर मनोज सिंह चौहान ने संगठन में नए बदलाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
ठाकुर शेखर सिंह चौहान को यूपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। यह घटना करणी सेना में चल रही अनुशासनहीनता की ओर इशारा करती है। करणी सेना के नेताओं ने इस घटना की जांच की और दोषी पाए गए नेताओं को हटा दिया गया है। लेकिन इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या करणी सेना में इतने बड़े बदलाव की ज़रूरत थी।
करणी सेना के नेताओं ने इस घटना की जांच की और दोषी पाए गए नेताओं को हटा दिया गया है। लेकिन इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या करणी सेना में इतने बड़े बदलाव की ज़रूरत थी।
करणी सेना की छवि पर यह घटना क्या असर डालेगी। यह घटना करणी सेना के नेताओं के लिए एक चेतावनी है कि वे अपने कार्यों का संचालन ठीक से करें और अपने नेताओं के लिए उचित जिम्मेदारी दें। यह घटना करणी सेना के नेताओं के लिए एक सबक है कि वे अपने कार्यों में अनुशासनहीनता ना लाएं और अपने नेताओं के लिए उचित जिम्मेदारी दें।