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तिब्बत के लिए आजादी की मांग! भारत में रैली निकाली गई, क्या है उद्देश्य?
हाथरस में एक ऐतिहासिक घटना का साक्षी बनने के लिए तैयार हो जाइए, जिसका उद्देश्य तिब्बत की आजादी के लिए समर्थन जुटाना। शनिवार की शाम को हाथरस में भारत तिब्बत सहयोग मंच ने एक बाइक रैली का आयोजन किया। 🚀 रैली होटल श्री बालाजी कॉम्प्लेक्स रोड से शुरू हुई।
रैली क्रांति चौक, कमला बाजार, रामलीला मैदान, बेनीगंज और घंटाघर से होते हुए आगे बढ़ी। फिर नजिहाई, रुई की मंडी, लोहट बाजार, मोती बाजार से गुजरी। ✨ इसके बाद नया गंज, सब्जी मंडी, और चक्की बाजार से होते हुए कैंप कार्यालय बालाजी कॉम्प्लेक्स सर्कुलर रोड पर समापन हुआ। 🌟
रैली का मुख्य उद्देश्य तिब्बत की आजादी के लिए समर्थन जुटाना था। लेकिन क्या है इतिहास पीछे इस घटना के पीछे क्या है राजनीतिक वजह? क्या है तिब्बत की आजादी के लिए लड़ाई?
तिब्बत और चीन के बीच में ऐतिहासिक टकराव का इतिहास काफ़ी लंबा है।
1950 के दशक में चीन ने तिब्बत पर कब्ज़ा कर लिया था। तब से तिब्बत में लोकतंत्र और स्वतंत्रता के लिए लड़ाई जारी है।
भारत में तिब्बत की आजादी के लिए लड़ाई काफ़ी पुरानी है। इस रैली में काफ़ी संख्या में लोग शामिल हुए थे। एडवोकेट कुंवर रत्नेश मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे। सुरेश अग्रवाल, डॉ. दिनेश महेश्वरी, युवा अध्यक्ष योगेश वार्ष्णेय और महामंत्री वासुदेव दोबरावल भी उपस्थित थे।
कोषाध्यक्ष अनिल कुमार वार्ष्णेय, ओमप्रकाश वर्मा और डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा समेत कई गणमान्य लोगों ने रैली में हिस्सा लिया। कार्यक्रम के अंत में जिला अध्यक्ष और युवा इकाई के अध्यक्ष ने सभी का आभार व्यक्त किया। उपस्थित सभी लोगों के लिए जलपान की व्यवस्था की गई।
यह रैली क्या है सिर्फ़ एक घटना या फिर कुछ बड़ा है जिसके पीछे है तिब्बत की आजादी? यह सवाल उठता है कि क्या यह लड़ाई सिर्फ़ तिब्बत की आजादी के लिए है या फिर इसमें भारत और चीन के बीच के राजनीतिक टकराव की कहानी है?
यह घटना क्या है सिर्फ़ एक सामाजिक आंदोलन या फिर कुछ और है? क्या है तिब्बत की आजादी के लिए लड़ाई क्या है भारत और चीन के बीच के राजनीतिक टकराव की कहानी? यह सभी सवालों के जवाब है कि इस घटना की कहानी क्या है?