यह अत्यधिक दर्दनाक होता है और समय पर इलाज न मिलने पर संक्रमण फैलने से जानलेवा भी साबित हो सकता है। यह स्थिति अक्सर कब्ज और संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है।

शिवम ने अगले ही दिन कछुए को 110 किलोमीटर दूर हापुड़ से अलीगढ़ लाकर डॉ्र विराम की क्लिनिक में भर्ती कराया। वहां करीब दो घंटे की जटिल सर्जरी के बाद कछुए को नया जीवन मिला।

इलाज के बाद उसे एक सप्ताह तक निगरानी में रखा गया और फिर पूरी तरह स्वस्थ होने पर शिवम उसे हापुड़ ले आये और पास के तालाब में छोड़ दिया। कछुए में पैराफिमोसिस की स्थिति गंभीर थी। सर्जरी के बाद हमने एंटीबायोटिक्स और जरूरी देखभाल दी।

अब कछुआ पूरी तरह स्वस्थ है। शिवम ने डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं कुछ दिनों तक दीं और फिर उस कछुए को वापस उसी इलाके की एक झील में आज़ादी के साथ छोड़ दिया, जहां वह अपना जीवन अब बिना कष्ट के बिता सकेगा। यह घटना न सिर्फ पशु प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि अगर इच्छाशक्ति और सही दिशा में प्रयास हो, तो समस्याग्रस्त जीवन को बचाया जा सकता है।

चाहे वह इंसान हो या बेजुबान जानवर। यह कहानी सिर्फ एक जानवर की जिंदगी बचाने की नहीं, बल्कि करुणा, समर्पण और आधुनिक वेटरनरी चिकित्सा की सफलता की भी है। शिवम की इस मिसाल ने साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति और सही प्रयास हो, तो कोई भी जीवन बचाया जा सकता है। यह घटना हम सभी के लिए एक प्रेरणा है कि हम कैसे जीवन को बचा सकते हैं।

यह एक मिसाल है जो हमें सिखाता है कि जीवन का मूल्य क्या है। यह घटना हमें बताती है कि अगर हम एक साथ मिलकर प्रयास करें, तो कोई भी जीवन बचाया जा सकता है।

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यह अत्यधिक दर्दनाक होता है और समय पर इलाज न मिलने पर संक्रमण फैलने से जानलेवा भी साबित हो सकता है। यह स्थिति अक्सर कब्ज और संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है।

शिवम ने अगले ही दिन कछुए को 110 किलोमीटर दूर हापुड़ से अलीगढ़ लाकर डॉ्र विराम की क्लिनिक में भर्ती कराया। वहां करीब दो घंटे की जटिल सर्जरी के बाद कछुए को नया जीवन मिला।

इलाज के बाद उसे एक सप्ताह तक निगरानी में रखा गया और फिर पूरी तरह स्वस्थ होने पर शिवम उसे हापुड़ ले आये और पास के तालाब में छोड़ दिया। कछुए में पैराफिमोसिस की स्थिति गंभीर थी। सर्जरी के बाद हमने एंटीबायोटिक्स और जरूरी देखभाल दी।

अब कछुआ पूरी तरह स्वस्थ है। शिवम ने डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं कुछ दिनों तक दीं और फिर उस कछुए को वापस उसी इलाके की एक झील में आज़ादी के साथ छोड़ दिया, जहां वह अपना जीवन अब बिना कष्ट के बिता सकेगा। यह घटना न सिर्फ पशु प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि अगर इच्छाशक्ति और सही दिशा में प्रयास हो, तो समस्याग्रस्त जीवन को बचाया जा सकता है।

चाहे वह इंसान हो या बेजुबान जानवर। यह कहानी सिर्फ एक जानवर की जिंदगी बचाने की नहीं, बल्कि करुणा, समर्पण और आधुनिक वेटरनरी चिकित्सा की सफलता की भी है। शिवम की इस मिसाल ने साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति और सही प्रयास हो, तो कोई भी जीवन बचाया जा सकता है। यह घटना हम सभी के लिए एक प्रेरणा है कि हम कैसे जीवन को बचा सकते हैं।

यह एक मिसाल है जो हमें सिखाता है कि जीवन का मूल्य क्या है। यह घटना हमें बताती है कि अगर हम एक साथ मिलकर प्रयास करें, तो कोई भी जीवन बचाया जा सकता है।

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स्वास्थ्य

कछुए की जान बचाने की अनोखी दास्तान: दो घंटे सर्जरी कर डॉक्टर ने कैसे बचाई जान

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हापुड़ जिले में एक युवक शिवम ने एक असाधारण मिसाल पेश करते हुए एक घायल और बीमार कछुए की जान बचाई है। ✨ यह कहानी सिर्फ एक जानवर की जिंदगी बचाने की नहीं, बल्कि करुणा, समर्पण और आधुनिक वेटरनरी चिकित्सा की सफलता की भी है। 🌟

हापुड़ के रहने वाले शिवम को अपने घर के पास स्थित तालाब के किनारे एक कछुआ दर्द से तड़पता हुआ मिला। उसके पिछले हिस्से से कुछ अजीब सा बाहर निकला हुआ था। ✅ पहली नज़र में शिवम को समझ में आ गया कि कछुआ किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित है।

उन्होंने उसे तुरंत अपने घर ले जाकर एक पानी से भरे टब में रखा और अगले दिन सरकारी और निजी पशु चिकित्सालयों में दिखाने ले गया। दुर्भाग्यवश, कहीं भी कछुए का इलाज संभव नहीं हो सका। सभी पशु चिकितकों ने हाथ खड़े कर दिये।

मदद की उम्मीद में शिवम ने सोशल मीडिया का सहारा लिया। वहीं से उन्हें अलीगढ़ के पशु चिकित्सक डॉ विराम वार्ष्णेय की जानकारी मिली। डॉक्टर के एक वीडियो को देखकर शिवम ने उनसे संपर्क किया और कछुए की स्थिति बताई।

डॉ विराम ने बताया कि यह मामला "पैराफिमोसिस" नामक गंभीर बीमारी का है। उन्होंने बताया कि पैराफिमोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें कछुए का लिंग शरीर से बाहर आकर फंस जाता है और अंदर नहीं जा पाता।

यह अत्यधिक दर्दनाक होता है और समय पर इलाज न मिलने पर संक्रमण फैलने से जानलेवा भी साबित हो सकता है। यह स्थिति अक्सर कब्ज और संक्रमण के कारण उत्पन्न होती है।

शिवम ने अगले ही दिन कछुए को 110 किलोमीटर दूर हापुड़ से अलीगढ़ लाकर डॉ्र विराम की क्लिनिक में भर्ती कराया। वहां करीब दो घंटे की जटिल सर्जरी के बाद कछुए को नया जीवन मिला।

इलाज के बाद उसे एक सप्ताह तक निगरानी में रखा गया और फिर पूरी तरह स्वस्थ होने पर शिवम उसे हापुड़ ले आये और पास के तालाब में छोड़ दिया। कछुए में पैराफिमोसिस की स्थिति गंभीर थी। सर्जरी के बाद हमने एंटीबायोटिक्स और जरूरी देखभाल दी।

अब कछुआ पूरी तरह स्वस्थ है। शिवम ने डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं कुछ दिनों तक दीं और फिर उस कछुए को वापस उसी इलाके की एक झील में आज़ादी के साथ छोड़ दिया, जहां वह अपना जीवन अब बिना कष्ट के बिता सकेगा। यह घटना न सिर्फ पशु प्रेम का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि अगर इच्छाशक्ति और सही दिशा में प्रयास हो, तो समस्याग्रस्त जीवन को बचाया जा सकता है।

चाहे वह इंसान हो या बेजुबान जानवर। यह कहानी सिर्फ एक जानवर की जिंदगी बचाने की नहीं, बल्कि करुणा, समर्पण और आधुनिक वेटरनरी चिकित्सा की सफलता की भी है। शिवम की इस मिसाल ने साबित कर दिया कि अगर इच्छाशक्ति और सही प्रयास हो, तो कोई भी जीवन बचाया जा सकता है। यह घटना हम सभी के लिए एक प्रेरणा है कि हम कैसे जीवन को बचा सकते हैं।

यह एक मिसाल है जो हमें सिखाता है कि जीवन का मूल्य क्या है। यह घटना हमें बताती है कि अगर हम एक साथ मिलकर प्रयास करें, तो कोई भी जीवन बचाया जा सकता है।






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