- Home
- शिक्षा
- केरल की पाठ्यपुस्तकों में ठकुरेला की अमर Kahaniyaan! पढ़ें पूरी कहानी
शिक्षा
केरल की पाठ्यपुस्तकों में ठकुरेला की अमर Kahaniyaan! पढ़ें पूरी कहानी
ठकुरेला की रचनाएं केरल राज्य की विभिन्न पाठ्यपुस्तकों में सम्मिलित की गई हैं। ✅ लेकिन क्या यह सफलता रातों रात आई? क्या ठकुरेला की कविताओं ने केरल की शिक्षा व्यवस्था में क्रांति लाई है? हमारी पड़ताल में जाने क्या है असली कहानी!
सासनी क्षेत्र के नगला मिश्रिया के रहने वाले साहित्यकार व रेलवे इंजीनियर त्रिलोक सिंह ठकुरेला की रचनाएं केरल राज्य की विभिन्न पाठ्यपुस्तकों में सम्मिलित की गई हैं। लेकिन यह सफलता ठकुरेला की मेहनत का नतीजा है। ठकुरेला ने बताया कि केरल सरकार की राज्य शैक्षणिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद ने निर्मित पांचवीं कक्षा की हिंदी पाठ्यपुस्तक केरल पाठावली हिंदी भाग-2 में उनकी कविता ''पानी'' सम्मिलित की गई है। ✨
लेकिन ठकुरेला की कविताओं ने केरल की शिक्षा व्यवस्था में क्या बदलाव लाया है? क्या ठकुरेला की कविताओं ने केरल के स्टूडेंट्स के लिए नए रास्ते खोल दिया है? हमारी पड़ताल में जाने क्या है असली कहानी!
केरल के एक निजी प्रकाशक ने राज्य पाठ्यक्रम के अनुसार प्रकाशित पुस्तक सितारा सरल हिंदी पाठमाला-5 में ''हितकारी पेड़'' नामक कविता शामिल की गई है। 🚀 प्रकाशक ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के निर्धारित पाठयक्रम के अनुसार निर्मित पाठ्यपुस्तकों में भी शामिल की गई हैं। ठकुरेला ने बताया है कि कक्षा पांच, छह, सात व आठ की हिंदी की पाठ्यपुस्तकों में उनकी कविताएं सम्मिलित गई हैं।
राजस्थान साहित्य अकादमी एवं पं. जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी सहित अनेक संस्थाओं द्वारा सम्मानित ठकुरेला की रचनाएं महाराष्ट्र की दसवीं कक्षा की हिंदी पाठ्यपुस्तक ''कुमार भारती'' शामिल की हैं। इसके साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी प्रेस की कक्षा-3 की िंहदी पाठ्यपुस्तक ऑक्सफोर्ड एडवांटेज हिंदी पाठमाला भाग-2 सहित 50 से अधिक पाठ्यपुस्तकों में शामिल की गई हैं। ठकुरेला की कविताओं ने केरल की शिक्षा व्यवस्था में क्रांति ला दी है? क्या ठकुरेला की कविताओं ने केरल के स्टूडेंट्स के लिए नए रास्ते खोल दिया है? हमारी पड़ताल में जाने क्या है असली कहानी!