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सांसद-विधायक से नहीं मिले स्वयंसेवकों से जाना जनप्रतिनिधियों का कामकाज चल दिए दिल्ली 💪
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के पांच दिवसीय प्रवास के दौरान न तो किसी सांसद और न ही किसी विधायक से मुलाकात हुई। हां उन्होंने 44 पुराने और विश्वस्त स्वयंसेवकों के साथ गहन संवाद कर वर्तमान जनप्रतिनिधियों के कामकाज जरूर जाने। उन्होंने समाज को एकजुट करने पर जोर दिया।
इसकी जिम्मेदारी भी स्वयं सेवकों को सौंपी गई। दरअसल संघ प्रमुख मोहन भागवत मिशन यूपी पर निकले हुए हैं। ✅
उनका पहला प्रवास वाराणसी में हुआ जबकि दूसरा कानपुर में। ✅ अब तीसरे प्रवास के लिए संघ प्रमुख 17 अप्रैल को अलीगढ़ आए थे। यहां पांच दिन रहकर संघ के स्वयंसेवकों से मिले और संघ को मजबूत बनाने का मंत्र दिया। ✅
उन्होंने न केवल हिंदुत्व के मुद्दे को धार दी बल्कि जातियों में बंट रहे समाज को भी एकजुट करने की जिम्मेदारी संघ के स्वयंसेवकों को सौंपी है। संघ के सूत्रों की मानें तो आने वाले चुनावों में अच्छे नतीजे आएं इसके लिए मजबूत प्लानिंग संघ के स्तर से की जा रही है। उत्तर प्रदेश क्योंकि भाजपा के एक मजबूत किले में है लिहाजा संघ से लेकर भाजपा संगठन तक यहां हर कमजोरी को दूर करने में लगा है। विचार मंथन के दौरान सरसंघचालक भागवत ने बृज प्रांत के जनप्रतिनिधियों के बारे में भी पूछा।
उन्होंने स्वयंसेवकों से जाना कि बृज प्रांत में कुल कितने जनप्रतिनिधि हैं और क्या वे वास्तव में जनता के हित में कार्य कर रहे हैं या केवल अपने निजी हितों में ही लगे हुए हैं। उन्होंने यह भी जानने की इच्छा व्यक्त की कि किस जनप्रतिनिधि के बारे में आम जनता की राय कैसी है।
भागवत के इस प्रवास और गहन विचार मंथन से जो बातें निकलकर सामने आ रही हैं, वे स्पष्ट रूप से दर्शाती हैं कि संघ न केवल वर्तमान राजनीतिक सत्ता को बनाए रखना चाहता है, बल्कि उसका विस्तार भी करना चाहता है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर नगर निकायों तक अपना नियंत्रण बरकरार रखना संघ की प्राथमिकता में शामिल है।
माना जा रहा है कि पुराने स्वयंसेवकों के साथ यह संवाद इसी रणनीति को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। मोहन भागवत का अलीगढ़ में पांच दिवसीय प्रवास कई दृष्टिकोणों से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
यह शहर न केवल चंद्रभान गुप्त, अशोक सिंघल और कल्याण सिंह जैसे हिंदुत्व को मजबूत करने वाले प्रमुख नेताओं की जन्मभूमि रहा है, बल्कि यह एक बड़े क्षेत्र में व्यापक वैचारिक संदेश प्रसारित करने का केंद्र भी है। इसके अतिरिक्त, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ( एएमयू) भी यहीं स्थित है, जो मुस्लिम विचारधारा को राष्ट्रीय स्तर पर नेतृत्व प्रदान करता है। भागवत का यहां विचार मंथन कार्यक्रम आयोजित करना एक महत्वपूर्ण संदेश देता है।
इसके माध्यम से वे यह जताना चाहते हैं कि उनकी विचारधारा के करीब होने के साथ-साथ, जहां एक विपरीत विचारधारा भी फलती-फूलती है, वह स्थान भी उनके लिए सहज और स्वीकार्य है। जानकारों का मानना है कि भागवत का यह प्रवास हिंदुत्व की विचारधारा को पोषित करने वाले इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में अपनी उपस्थिति को और मजबूत करने का प्रयास है। वहीं, एएमयू जैसे संस्थान की उपस्थिति के कारण, यह प्रवास एक ऐसे क्षेत्र में संवाद और समन्वय स्थापित करने का भी संकेत देता है जहां वैचारिक भिन्नता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस प्रवास के दीर्घकालिक राजनीतिक और सामाजिक निहितार्थ क्या होते हैं।