शिक्षा

प्राथमिक विद्यालयों में तालábंदी! कैसे होंगे भविष्य के नौनिहाल?

  • Share on Facebook
अलीगढ़ जिले में प्राथमिक शिक्षा विभाग का सर्व शिक्षा अभियान बदहाल है. प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षक नहीं आते तो छात्र-छात्राएं भी नहीं आते. सुविधाओं का भी आभाव है. किसी विद्यालय में शिक्षक नहीं है तो कहीं 10 बच्चों पर तीन शिक्षक तैनात हैं. कई स्कूल शिक्षा मित्रों के भरोसे चल रहे हैं. 35 बच्चे पंजीकृत हैं, न शिक्षक आते न बच्चे. अतरौली ब्लॉक के गांव नाथपुर स्थित प्राथमिक विद्यालय का 5 मई को सुबह 10:10 बजे गेट खुला हुआ था. अंदर घुसते ही बड़ी बड़ी झाड़ियां उगी हुई थीं. दो कमरे जर्जर हालत में थे. आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और सहायिका बच्चों के साथ स्कूल के बरामदे में बैठी थीं. कुछ बच्चे कमरे में खेल रहे थे. पूछने पर उन्होंने बताया कि यह आंगनबाड़ी के बच्चे हैं. प्राथमिक विद्यालय के कक्षा एक से पांच तक के बच्चे स्कूल आते ही नहीं हैं. विद्यालय में 35 विद्यार्थी पंजीकृत हैं. हाजिरी रजिस्टर में शनिवार तक की उपस्थिति दर्ज थी. महिला शिक्षा मित्र गायत्री यहां मौजूद थीं, वह रोजाना आकर स्कूल खोलती हैं. महेरा में 10 छात्रों को पढ़ाने के लिए तीन अध्यापक अतरौली के ही गांव महेरा के प्राथमिक विद्यालय में महज 10 बच्चे पंजीकृत हैं. इनको पढ़ाने के लिए तीन शिक्षक कार्यरत हैं. इस स्कूल में गत पांच साल में छात्र संख्या इससे ज्यादा नहीं बढ़ सकी है. अकराबाद में 535 विद्यार्थियों में से 70 मौजूद मिले अकराबाद के उच्च प्राथमिक विद्यालय 1/8 कंपोजिट स्कूल में 535 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं. इनमें से 70 विद्यार्थी उपस्थित थे. 11 टीचर व तीन शिक्षा मित्रों की तैनाती है. समर खराब है. गर्मी के कारण रसोईया खुले में बैठकर खाना पकाते नजर आ रहे थे. नगला नत्था में बिना ड्रेस के नजर आए विद्यार्थी गभाना के नगला नत्था के प्राथमिक विद्यालय में 140 छात्र-छात्राओं में से 90 ही मौजूद थे. अधिकतर छात्र बिना ड्रेस के थे. गभाना के खेमपुर के प्राथमिक विद्यालय में कक्षा एक से तीन के बच्चों को यहां भी पाठ्य पुस्तकें अभी तक नहीं मिली हैं. एक क्लास रूम में तीन कक्षाओं के बच्चों की पढ़ाई इगलास के प्राथमिक पाठशाला सीतापुर में 5 मई सुबह 26 छात्र और 19 छात्राएं मौजूद थीं. क्लास रूम दो हैं, जिसमें एक क्लास रूम में कक्षा एक दो व पांच व दूसरे क्लासरूम में कक्षा तीन व चार की कक्षाएं संचालित हैं. खैर के प्राथमिक विद्यालयों में स्थिति सामान्य नजर आई. प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों का आभाव सबसे बड़ी समस्या है. बच्चों के लिए पढ़ाई का माहौल नहीं है. सुविधाओं का आभाव सबसे बड़ा कारण है. इससे बच्चे स्कूल जाना ही छोड़ देते हैं. प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षा का स्तर इतना नीचे है कि बच्चे Zukunft के लिए तैयार नहीं हो पाते. इतना ही नहीं बल्कि शिक्षकों के लिए प्रोत्साहन की कमी है. सरकार की ओर से शिक्षा के विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं. इससे भविष्य के लिए खतरा है. इस समस्या का समाधान सरकार के साथ-साथ समाज के लोगों की ओर से आना है. सरकार को चाहिए कि शिक्षा के विकास के लिए कोई ठोस कदम उठाए. और समाज के लोगों को चाहिए कि शिक्षा के प्रति जागरूक हों. तब ही हम शिक्षा के क्षेत्र में सुधार ला पाएंगे.






Leave a Reply

Login Here