शिक्षा

शिक्षकों के साथ अन्याय: पेंशन मुद्दे पर ना विधायक ने सुना और ना डीएम ने कुछ किया

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उत्तर प्रदेश के सादाबाद में सेवानिवृत्त प्राथमिक शिक्षकों को अतिरिक्त नेशनल वेतन वृद्धि का लाभ नहीं मिल पा रहा है। यह मामला तब शुरू हुआ जब 2006 से 2015 तक 30 जून को सेवानिवृत्त हुए शिक्षकों को विशेष सचिव उत्तर प्रदेश शासन के 21 अक्टूबर 2024 के आदेश के अनुसार यह लाभ दिया जाना था। लेकिन आज तक शिक्षकों को यह लाभ नहीं मिल पा रहा है।

इस मामले में शिक्षकों ने कई अधिकारियों से संपर्क किया। 💡 25 अक्टूबर को बेसिक शिक्षा अधिकारी को लिखित निवेदन किया।

16 नवंबर को वित्त एवं लेखा अधिकारी को निवेदन किया। 17 दिसंबर 2024 को पेंशन दिवस में डीएम के समक्ष मामला रखा गया। 🚀 13 मार्च 2025 को कलेक्ट्रेट में डीएम को ज्ञापन सौंपा। ✅ 3 अप्रैल को मंडल स्तरीय पेंशन दिवस में कमिश्नर को लिखित शिकायत की गई।

बीएसए कार्यालय और लेखा कार्यालय में पेंशनर शिक्षकों की पत्रावलियां मौजूद हैं। फरवरी में खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पत्रावलियां जमा की गई हैं। लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

शिक्षकों ने विधायक से इस मामले में कई बार संपर्क किया लेकिन आज तक कोई समाधान नहीं मिल पाया है। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें सीधे शिक्षकों के हक का सवाल है।

शिक्षकों का मानना है कि उनके हक के लिए लड़ना चाहिए। इस मामले में डीएम से लेकर कमिश्नर तक ने शिक्षकों की समस्या सुनी लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। यह मामला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें सीधे शिक्षकों के हक का सवाल है।

शिक्षकों का मानना है कि उनके हक के लिए लड़ना चाहिए। उत्तर प्रदेश के शिक्षकों की यह लड़ाई केवल उनके हक के लिए नहीं है बल्कि यह लड़ाई पूरे उत्तर प्रदेश के शिक्षकों की लड़ाई है।

अगर शिक्षकों के हक की लड़ाई में सरकार ने उनके साथ न्याय किया तो यह पूरे उत्तर प्रदेश के लिए अच्छा संकेत होगा। विधायक ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से बात कर समस्या के समाधान का आश्वासन दिया है। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।

शिक्षकों की लड़ाई आज भी जारी है। वे अपने हक के लिए लड़ते रहेंगे।






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