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आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की मुख्यमंत्री को चुनौती, सरकारी कर्मचारी का दर्जा और पूरा वेतन समेत कई मांगें!
हाथरस में आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने कलेक्टोरेट पहुंचकर मुख्यमंत्री के लिए 17 सूत्रीय मांगों का ज्ञापन सौंपा। 🌟 कार्यकर्ताओं ने सरकारी कर्मचारी का दर्जा और पूरा वेतन की मांग की है।उनकी प्रमुख मांगों में पेंशन, महंगाई भत्ता और ग्रेच्युटी शामिल हैं। 🚀 साथ ही न्यूनतम वेतन की तत्काल मांग की गई है। 🚀
इन मांगों के पीछे एक लंबा इतिहास है। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कई वर्षों से सरकारी कर्मचारी के दर्जे की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस नतीजा नहीं निकला है। इन कार्यकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट के ग्रेच्युटी भुगतान और गुजरात हाई कोर्ट के आदेशों को लागू करने की मांग की है।
इन आदेशों के मुताबिक, आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को सरकारी कर्मचारी का दर्जा और पूरा वेतन मिलना चाहिए। लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि बिना संसाधनों के ऑनलाइन कार्य नहीं करेंगे।
ऑनलाइन कार्य के लिए 2500 रुपये मासिक भत्ते की मांग की गई है। यह मांग इसलिए की गई है क्योंकि ऑनलाइन कार्य में काफी संसाधनों की जरूरत होती है और कार्यकर्ताओं के पास अभी तक इतने संसाधन नहीं हैं।
इसके अलावा, कार्यकर्ताओं ने ICDS योजना का विस्तार और नए आंगनवाड़ी केंद्र खोलने की मांग भी की है। यह मांग इसलिए की गई है क्योंकि आंगनबाड़ी केंद्रों में कई बच्चे आते हैं और इन केंद्रों में उनकी देखभाल होती है। लेकिन इन केंद्रों में काफी संसाधनों की कमी है और सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है। कार्यकर्ताओं ने मुख्य सेविका पद पर प्रमोशन और सहायिकाओं को कार्यकर्ती के पद पर समय से पदोन्नति की मांग की है।
साथ ही 1500-2000 रुपये की प्रोत्साहन राशि सभी कर्मचारियों को देने की मांग की गई है। यह मांग इसलिए की गई है क्योंकि कार्यकर्ताओं को अच्छा वेतन नहीं मिलता है और वे काफी संघर्ष कर रहे हैं।
आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए बेसिक और माध्यमिक स्कूलों के समान छुट्टियों की मांग की गई है। यह मांग इसलिए की गई है क्योंकि इन बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा की जरूरत होती है और इन स्कूलों में इन बच्चों के लिए अच्छा माहौल होता है। ज्ञापन देने वालों में आशा दीक्षित, सुनीता चौधरी, सीमा सारस्वत, सुमनदेवी, कमलेश और रीना पाठक प्रमुख रूप से मौजूद थीं। कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि मांगें न मानी गईं तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।
इसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।