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विवाहिता की संदिग्ध मौत: क्या दहेज की मांग ने ली एक जान?
आगसौली-बाजितपुर स्थित गांव फतेलीपुर में 1 मई की सुबह एक विवाहिता की संदिग्ध हालात में मौत हो गई। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराया है। यह घटना न केवल गांव के लिए बल्कि पूरे समाज के लिए चिंता का विषय है। ✅ 30 वर्षीय आशा पुत्री महेंद्रपाल निवासी जैथरा एटा की शादी दस साल पहले शीलेंद्र के साथ हुई थी। 💡
शीलेंद्र मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करता है। ग्रामीणों ने बताया है कि आशा काफी दिनों से बीमार चल रही थी। ससुराल वाले उसका इलाज करा रहे थे।
1 मई की सुबह अचानक उसकी हालत बिगड़ गई। ✨ कुछ ही देर में उसने दम तोड़ दिया। महिला की मौत की जानकारी होने पर गांव में पुलिस पहुंच गई।
पोस्टमार्टम हाउस पर मृतका के भाई ने आरोप लगाते हुए बताया है कि दहेज की मांग पूरी ने होने पर ससुराल वालों ने बहन का इलाज नहीं कराया है। सीओ श्यामवीर सिंह ने बताया है कि शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
अभी तक कोई तहरीर प्राप्त नहीं हुई है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आने पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह घटना हमें याद दिलाती है कि हमारे समाज में अभी भी दहेज प्रथा जैसी कुरीतियां मौजूद हैं। दहेज की मांग पूरी न होने पर लड़कियों के साथ क्या होता है, इसका उदाहरण है आशा की मौत।
यह हमें सोचने पर मजबूर करता है कि हमारे समाज में लड़कियों की सुरक्षा के लिए क्या किया जा सकता है। ऐसी घटनाएं हमें यह सिखाती हैं कि हमें अपने समाज में परिवर्तन लाने की जरूरत है।
हमें लड़कियों की सुरक्षा के लिए काम करना होगा। हमें उनके अधिकारों की रक्षा करनी होगी।
हमें अपने समाज में लड़कियों की स्थिति के लिए लड़ना होगा। यह घटना हमें यह भी याद दिलाती है कि हमारे समाज में अभी भी लड़कियों की स्थिति कमजोर है। हमें लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी। हमें लड़कियों की सुरक्षा के लिए लड़ना होगा।
हमें अपने समाज में लड़कियों की स्थिति के लिए काम करना होगा। इस घटना से हमें यह सिखाता है कि हमें अपने समाज में परिवर्तन लाने की जरूरत है।
हमें लड़कियों की सुरक्षा के लिए काम करना होगा। हमें लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी। हमें अपने समाज में लड़कियों की स्थिति के लिए लड़ना होगा। यह घटना हमें यह सिखाती है कि हमें अपने समाज में लड़कियों के प्रति सजग रहना होगा।
हमें लड़कियों की सुरक्षा के लिए काम करना होगा। हमें लड़कियों के अधिकारों की रक्षा करनी होगी। हमें अपने समाज में लड़कियों की स्थिति के लिए लड़ना होगा।