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सीएमएस ऑफिस में अचानक लगी आग, मरीजों में मचा हड़कम्प!
अलीगढ़ के मलखान सिंह जिला अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) कार्यालय में लगे एसी में 1 मई को सुबह आठ बजे अचानक आग लग गई। ✅ आग लगने का कारण शॉर्ट-सर्किट बताया जा रहा है, लेकिन क्या यह सिर्फ एक हादसा था या फायर सेफ्टी की बड़ी लापरवाही का नतीजा? जिस समय यह घटना हुई, उस समय कार्यालय से 10 मीटर की दूरी पर पर्चे बनवाने के लिए मरीजों की कतार लगी हुई थी। ✨ इससे वहां अफरा-तफरी मच गई। मरीज और उनके परिजनों का हड़कम्प मच गया।
उन्हें लगा कि यह अस्पताल के अंदर ही उनकी जान का खतरा है। सुरक्षा कर्मी केपी सिंह ने बताया कि सुबह-सुबह कार्यालय से धुआं निकलता दिखाई दिया। 🌟 अंदर झांक कर देखने पर आग लगी हुई थी।
तत्काल इसकी सूचना फायर ब्रिगेड को दी गई। सुरक्षाकर्मी सुरेश भारद्वाज ने बताया कि दमकल की गाड़ी पहुंचने से पहले ही सुरक्षाकर्मियों ने आग बुझा दी थी।
लेकिन क्या यह सिर्फ एक सुरक्षा कवच था? क्या अस्पताल के अंदर फायर सेफायर सेफ्टी के सवाल उठते ही हैं। मौके पर पहुंचे भाजपा के पूर्व प्रदेश मंत्री राजेंद्र वार्ष्णेय चीफ ने कहा कि पिछले दिनों अस्पताल की वायरिंग पर 20 लाख रुपये खर्च किए गए थे। इसके बावजूद फायर सेफ्टी को लेकर ऑडिट में सवाल उठाए गए थे। उन्होंने घटना की जांच की मांग की है।
लेकिन असल सवाल क्या है? क्या यह सिर्फ एक हादसा है या फायर सेफ्टी के मुद्दे की आड़ में कुछ और है? क्या सरकार और अस्पताल प्रशासन ने मरीजों की सुरक्षा के लिए काफी किया है? और सबसे अहम, क्या हम मरीजों की सुरक्षा के लिए काफी कर पा रहे हैं? इन सवालों के जवाब के लिए हमें पूरी घटना की जांच करने की जरूरत है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए हमें और अधिक प्रयास करने की जरूरत है। मरीजों की सुरक्षा के लिए हमें और अधिक जागरुक होना पड़ेगा।