शिक्षा

संग्रहालय के अद्भुत जीव-जंतुओं ने लोगों को लगा जिंदा है!

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एएमयू के मूसा डाकरी संग्रहालय में संरक्षित बतख, सांप, मेढ़क सहित अन्य जंतुओं को देखने के लिए लोगों की आंखें खुली रहीं। इन जीव-जंतुओं को 20 साल से संग्रहालय में संरक्षित हैं, लेकिन इनकी प्रदर्शनी ने लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर लिया है। 💡 इन अद्भुत जीव-जंतुओं ने लोगों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी है। ✨ एएमयू के संग्रहालय विज्ञान विभाग ने अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय दिवस मनाया। 🔥

इस अवसर पर स्कूली बच्चों ने संग्रहालय का भ्रमण किया। संग्रहालय विज्ञान विभाग के अध्यक्ष प्रोफेसर अब्दुर्रहीम ने कहा कि इस साल अंतरराष्ट्रीय संग्रहालय परिषद (आईसीओएम) ने “तेजी से बदलते समुदायों में संग्रहालयों का भविष्य” दिया है। पद्मश्री प्रोफेसर हकीम सैयद जिल्लुर्रहमान ने कहा कि उनके ज्ञान के शब्दों ने लोगों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी है, जो लोगों को अपने प्रयासों में उत्कृष्टता के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित करती है। उन्होंने भविष्य की पीढ़ियों के लिए सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संरक्षण के महत्व पर जोर दिया।

संग्रहालय विज्ञान विभाग के अध्यक्ष व आईसीओएम इंडिया के सचिव प्रोफेसर अब्दुर्रहीम ने कहा कि संग्रहालयों का भविष्य तेजी से बदलते समुदायों में निर्भर करता है। इसमें संग्रहालयों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इस अवसर पर आईसीओएम इंडिया की अध्यक्ष और एमएस विश्वविद्यालय, बड़ौदा के संग्रहालय विज्ञान विभाग की प्रमुख प्रोफेसर अंबिका पटेल, यूनेस्को अध्यक्ष प्रोफेसर अमरेश्वर गल्ला, जीवन विज्ञान संकाय के डीन प्रोफेसर नफीस अहमद खान ने अंतरराष्ट्रीय दिवस की थीम पर चर्चा की। कार्यक्रम के संयोजक डॉ. दानिश महमूद ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

इस संग्रहालय में संरक्षित जीव-जंतुओं ने लोगों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी है। ये जीव-जंतु न केवल प्राकृतिक संपदा के प्रतीक हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा भी हैं।

इनके संरक्षण और संरक्षण में हमारा योगदान है। तभी हमारी संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।

इस संग्रहालय में संरक्षित जीव-जंतुओं की प्रदर्शनी ने लोगों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी है। ये जीव-जंतु न केवल प्राकृतिक संपदा के प्रतीक हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा भी हैं। इनके संरक्षण और संरक्षण में हमारा योगदान है। तभी हमारी संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।

संग्रहालयों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी। इनके माध्यम से हम अपनी सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण कर सकते हैं। संग्रहालयों में संरक्षित जीव-जंतुओं की प्रदर्शनी ने लोगों के मन पर एक अमिट छाप छोड़ी है।

ये जीव-जंतु न केवल प्राकृतिक संपदा के प्रतीक हैं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा भी हैं। इनके संरक्षण और संरक्षण में हमारा योगदान है।

तभी हमारी संस्कृति और पर्यावरण की रक्षा कर सकते हैं।






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