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छूटेंगे पसीन, पहले होगा सेंसरयुक्त ट्रैफिक ट्रैक पर टेस्ट, फिर मिलेगा ड्राइविंग लाइसेंस 🚗💧
फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए बदनाम आरटीओ कार्यालय से अब लाइसेंस बनवाना आसान नहीं होगा। अलीगढ़ में मंडलस्तरीय ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (डीटीआई) में परमानेंट डीएल का टेस्ट देने से पहले अभ्यर्थी को सेंसरयुक्त ट्रैफिक ट्रैक पर एक और टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। 🌟
नई व्यवस्था 24 अप्रैल से लागू कर दी गई है। ✨ अब तक आरटीओ में मैन्युअल ही ड्राइविंग टेस्ट लिया जाता था। 🚀
टेस्ट के नाम पर खानापूर्ति होती थी। दलालों पर पैसा लेकर काम कराने का भी आरोप लगता रहा है। इससे वह लोग भी टेस्ट में पास हो जाते थे, जो वाहन चलाना नहीं जानते थे। अब टेस्ट देने के दौरान पूरी प्रक्रिया की कैमरे से रिकॉर्डिंग होगी।
ड्राइविंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट बनकर तैयार हो चुका है। अब लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए टेस्ट देना होगा।
इसमें पास होने पर ही ड्राइविंग लाइसेंस मिल सकेगा। सेंसरयुक्त ट्रैफिक ट्रैक पर 100 से अधिक कैमरों की मदद से वाहन चलाने की पल-पल की गतिविधियां रिकॉर्ड होंगी।
जब नियमों के तहत डीएल बनेगा तो सड़क हादसे भी कम होंगे। निर्माण पर आई पांच करोड़ की लागत यह इंस्टीट्यूट औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र (आईटीआई ) परिसर में करीब पांच करोड़ की लागत से बनाया गया है।
यहां ट्रैफिक ट्रैक का भी निर्माण कराया गया है। ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने से पहले सेंटर पर आकर आवेदकों को वाहन चलाने की ट्रेनिंग लेनी होगी।
इसका जिम्मा मारुति सुजूकी कंपनी को दिया गया है। यहां तीन अलग-अलग ट्रैक बनाए गए हैं। इसके अलावा यातायात नियमों के पालन को सिग्नल लाइट, संकेतकों की पहचान, गाड़ी पार्किंग करने का भी प्रशिक्षण दिया जाएगा।
अभी तक लर्निंग लाइसेंस की प्रक्रिया से लेकर स्थाई लाइसेंस तक आवेदकों को दो टेस्ट से गुजरना पड़ता है, लेकिन अब एक और टेस्ट बढ़ने वाला है। इस टेस्ट में पास होने के बाद ही आवेदक को ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान किया जाएगा। लर्निंग लाइसेंस के लिए अभ्यर्थी को कंप्यूटर पर टेस्ट देना होता है। टेस्ट में 15 सवालों में से नौ सही जवाब देने अनिवार्य होते हैं।
इसके बाद आवेदक परमानेंट डीएल टेस्ट के लिए अधिकृत हो जाता है। परमानेंट ड्राइविंग लाइसेंस की निर्धारित तिथि पर टेस्ट देने आने वाले अभ्यर्थियों को पहले इस ट्रेनिंग टेस्ट से गुजरना पड़ेगा। यहां पर अगर वाहन चलाकर अभ्यर्थी पास हो जाता है तो ड्राइविंग लाइसेंस जारी कर दिया जाता है, वहीं फेल होने पर फिर से उसे टेस्ट देना पड़ता है। जब तीसरा टेस्ट जुड़ेगा तो डीएल पाने की राह थोड़ी मुश्किल जरूर हो जाएगी।
जिले में करीब 25 से अधिक अनाधिकृत ड्राइविंग ट्रेनिंग सेंटर चल रहे हैं। जबकि संभागीय परिवहन विभाग में मात्र पांच ट्रेनिंग सेंटर ही पंजीकृत हैं। कारों के ऊपर ट्रेनिंग सेंटर का साइन बोर्ड लगाकर लोगों को गुमराह किया जा रहा है।
इनके पास न पर्याप्त कार हैं न ही ड्राइविंग ट्रैक बना हुआ है।