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करंट की चपेट में आई श्रद्धालुओं की बस, एक की मौत और दो जख्मी
यह एक ऐसी घटना है जिसने सभी को स्तब्ध कर दिया है। ✨ श्रद्धालुओं की बस में करंट की चपेट में आने से एक की मौत हो गई जबकि दो जख्मी हो गए। 💡
यह घटना उस समय हुई जब मथुरा बस अड्डे पर बस रुकी और कुछ श्रद्धालु उतरने लगे। ✅ तभी संजय भी बस से उतरे और छत पर चढ़कर अपना सामान उतारने लगे।
इसी बीच ऊपर से गुजर रही हाईटेंशन लाइन से उनका हाथ छू गया और पूरी बस में करंट उतर गया। संजय झटके से बस की छत पर गिर गए और मौके पर ही मौत हो गई। उनके गिरते ही बस से करंट खत्म हुआ।
सादाबाद क्षेत्र के गांव मई, कजरौठी, बिसावर के अलावा बॉर्डर के जिले मथुरा के बल्देव व एटा के जलेसर क्षेत्र के कुछ गांवों के लोग 27 मई को प्राइवेट बस से वैष्णो देवी-नगरकोट कांगड़ा सहित नौ देवी दर्शन करने गए थे। बस में कुल 60 श्रद्धालु सवार होकर धार्मिक यात्रा के लिए निकले थे। वापसी में नगरकोट से हरिद्वार आश्रम में विश्राम व गंगा स्नान के बाद बस शनिवार दोपहर करीब डेढ़ बजे सादाबाद के मथुरा प्राइवेट बस अड्डे पहुंची। जहां बस हाईटेंशन लाइन के नीचे खड़ी कर दी गई।
जहां कुछ श्रद्धालु उतरने थे। तभी कजरौठी के संजय कुमार बस की छत पर चढक़र अपना सामान उतारने लगे। मगर वे विद्युत लाइन से छू गए और करंट की चपेट में आ गए। साथ में करंट पूरी बस में फैल गया।
इससे बस में अफरा-तफरी के बीच भगदड़ मची। मगर बस से सटकर खड़े श्रद्धालु मई गांव के देवेंद्र व कासिमपुर बल्देव मथुरा की मीना देवी झुलस गईं। कई श्रद्धालुओं ने करंट का झटका महसूस किया।
मगर वे चपेट में आने से बाल-बाल बच गए। बस में करंट उतरने पर मची चीखपुकार पर वहां आसपास के दुकानदारों व अन्य बस चालक-परिचालकों की भीड़ जमा हो गई। खबर पर पुलिस भी पहुंच गई।
आनन फानन झुलसे लोगों को सीएचसी लाया गया। जहां संजय को मृत घोषित कर दिया गया, जबकि बाकी दोनों को आगरा रेफर कर दिया गया। यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर कर देती है कि आखिर क्या वजह थी कि यह घटना हुई।
क्या यह बस की लापरवाही थी या फिर कुछ और था जिसके कारण यह घटना हुई। हमें यह भी पता लगाना होगा कि और ऐसी घटनाएं न हो इसके लिए क्या कदम उठाने होंगे।
क्या हमारी सरकार ने इस मामले में कोई कदम उठाया है या फिर बस इतना ही है कि हम सब बस इतना ही कर सकते हैं कि बस में होने वाली घटनाओं पर खबर लगाते हैं। यह एक सोचने वाली बात है क्या हमारा समाज इतना ही लाचार है कि हम बस इतना ही कर सकते हैं या फिर हम और कुछ भी कर सकते हैं।