- Home
- अपराध
- मौत के मुंह से बाल-बाल बची पत्नी और बेटी, घर से महज 500 मीटर दूर हुआ हादसा
अपराध
मौत के मुंह से बाल-बाल बची पत्नी और बेटी, घर से महज 500 मीटर दूर हुआ हादसा
बरला कस्बा में एक दिल दहला देने वाला हादसा हुआ है, जहां एक युवक अमरचंद्र की मौत हो गई और उसकी पत्नी और बेटी घायल हो गईं। ✅ यह हादसा बरला कस्बा के नानऊ-छर्रा मार्ग पर हुआ, जिसके नजदीक गांव पहाड़ीपुर स्थित है। अमरचंद्र जिसकी उम्र महज 25 साल थी, वह अपने घर से मात्र पांच सौ मीटर दूर था कि मौत ने उसे अपने कब्जे में ले लिया।
इस हादसे में अमरचंद्र की मौके पर ही मौत हो गई थी और उसकी पत्नी और बेटी घायल पड़ी थीं। लेकिन अमरचंद्र के परिजनों को एक घंटे बाद ही इस हादसे का पता चल सका। ✅ अमरचंद्र के पिता ने जब हादसे की खबर मिली तो वह छर्रा पहुंचे और उन्होंने अपने पौते और पोती का हालत देखी तो वह गंभीर था। ✅
अमरचंद्र और उसके परिवार का इतिहास क्या था? अमरचंद्र की पत्नी बेबी और बेटी काव्या 20 दिन पहले ही अपने ससुराल गोधनपुर गांव गई थीं, जो अमरचंद्र के घर से करीब 25 किमी दूर है। शाम को अमरचंद्र, अपनी पत्नी और बेटी को लेकर घर लौट रहा था तभी यह हादसा हो गया। अमरचंद्र की मौके पर ही मौत हो गई थी। मौके पर पहुंची पुलिस की जीप और पीआरवी ने मुकल और गुड्डू पंडित की सांसों को चलता देखा और अकराबाद सीएचसी में उनका इलाज करवाया।
लेकिन इस हादसे में मृत मुकुल और गुड्डू पंडित सरसों की तूरी की खरीद-फरोख्त के कारोबार में पार्टनर थे। बताया गया है कि वह तूरी को बेचने के बाद किसी ईंट-भट्ठे से 27 हजार रुपये की नकदी लेकर कस्बा कौड़ियागंज लौट रहे थे लेकिन रास्ते में ही हादसे का शिकार हो गए। हादसे के बाद मुकुल की जेब से 27 हजार रुपये निकले, जिसे पुलिस ने अपने पास सुरक्षित रख लिया।
मुकुल के परिजन अकराबाद सीएचसी में भी पहुंचे थे। बताया गया है कि मुकुल तीन भाइयो में सबसे छोटे थे और उन्होंने अपने पीछे पत्नी माला देवी को बिलखते हुए छोड़ा है। वहीं गुड्डू पंडित तीन भाइयो में बीच के थे। इस हादसे ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है।
इस हादसे का सामाजिक प्रभाव क्या है? इस हादसे ने पूरे इलाके में दहशत फैला दी है। लोगों में दहशत फैल गई है कि कैसे एक युवक की मौत उसके घर से मात्र 500 मीटर दूर हो गई थी। इस हादसे ने पूरे परिवार को झकझोर कर रख दिया है और एक बड़ा सवाल उठाया है कि क्या हमारी सड़कें इतनी खतरनाक हैं?
इस हादसे ने हमें एक और बड़ा सवाल उठाया है कि हमारा समाज कितना संवेदनशील है? क्या हमारे नेता और सरकार इस तरह के हादसों पर ध्यान दे रहे हैं हैं? क्या हमारे पास इतने संसाधन हैं कि हम इन हादसों को रोक सके। इस हादसे ने पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है और एक नई बहस शुरू कर दी है।
###