- Home
- स्वास्थ्य
- जेएन मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त इमरजेंसी-ओपीडी सेवाएं आज से होंगी यथावत 🏥
स्वास्थ्य
जेएन मेडिकल कॉलेज के रेजिडेंट डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त इमरजेंसी-ओपीडी सेवाएं आज से होंगी यथावत 🏥
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में 22 अप्रैल से चल रही रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (आरडीए) की हड़ताल 25 अप्रैल देर रात समाप्त हो गई। ✨ आरडीए की जनरल बॉडी की देर रात हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया। हड़ताल समाप्त करने के पीछे मुख्य कारण पहलगाम में हुआ आतंकी हमला और इलाज के लिए परेशान हो रहे मरीजों को बताया गया है। ✅
इसके साथ ही रात 1:00 बजे से रेजिडेंट डॉक्टर इमरजेंसी सेवाओं में वापस लौट आए। 💡 जिससे उपचार का इंतजार कर रहे 250 से अधिक मरीजों और उनके तीमारदारों ने राहत की सांस ली। 26 अप्रैल से ओपीडी सेवाओं के साथ-साथ इमरजेंसी सेवाएं भी सामान्य रूप से संचालित की जाएंगी।
यह हड़ताल 22 अप्रैल को एएमयू के एथलेटिक्स मैदान पर हॉर्स शो के दौरान हुई मारपीट में घायल एक व्यक्ति को इमरजेंसी में लाए जाने के बाद शुरू हुई थी। आरोप है कि उपचार के दौरान कुछ लोगों ने डॉक्टरों के साथ अभद्रता की और फायरिंग भी की। इसी घटना के विरोध में रेजिडेंट डॉक्टरों ने कार्य बहिष्कार कर दिया था।
आरडीए के अध्यक्ष डॉ. मोहम्मद आसिम सिद्दीकी ने बताया कि अलीगढ़ के एसपी सिटी और एडीएम सिटी ने डॉक्टरों को सुरक्षा और आरोपियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का भरोसा दिलाया है। पहलगाम हमले के बाद देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। हड़ताल के कारण पिछले तीन दिनों में मरीजों को असुविधा हुई है।
इन्हीं बातों का ध्यान रखते हुए हड़ताल वापस ली गई है। एएमयू प्रॉक्टर प्रो. वसीम अली ने बताया कि डॉक्टरों की सुरक्षा संबंधी सभी मांगों को मान लिया गया है। शनिवार से ओपीडी सेवाओं के साथ-साथ इमरजेंसी सेवाएं भी सामान्य रूप से संचालित की जाएंगी।
100 से अधिक ऑपरेशन टले हड़ताल समाप्त होने से पहले शुक्रवार को रात एक बजे तक मरीज और तीमारदार परेश्शान रहे। हड़ताल के चलते 100 के अधिक ऑपरेशन टल गए हैं।
इलाज न मिल पाने के कारण अनूपशहर से आए एक वृद्ध की मौत हो गई। सांस लेने में तकलीफ होने पर उन्हें यहां लाया गया था। यहां पता चला कि हड़ताल है।
निजी अस्पताल पहुंचने से पहले उनकी मौत हो चुकी थी। आरडीए अध्यक्ष डा. मोहम्मद आसिम सिद्दीकी ने बताया कि हमारी सेवाएं इमरजेंसी के अलावा आईसीयू और आपरेशन थिएटर में भी रहती हैं।
उन्होंने दावा किया है कि हड़ताल के चलते 100 से अधिक आपरेशन अब तक टल चुके हैं। 22 अप्रैल शाम 5.30 बजे - एएमयू के एथलेटिक्स मैदान पर हॉर्स शो के दौरान मारपीट 22 अप्रैल शाम 6.30 बजे - एक घायल जेएन मेडिकल कॉलेज इमरजेंसी पहुंचा 22 अप्रैल शाम 6.35 बजे- कुछ लोगों ने डॉक्टरों से अभद्रता की, फायरिंग हुई 22 अप्रैल शाम 7.30 बजे - आरडीए ने इमरेंजसी ठप की, हड़ताल की घोषणा की 23 अप्रैल - सुबह से ही गंभीर मरीजों का इमरजेंसी से लौटना शुरू 24 अप्रैल - गोली लगने से घायल एक व्यक्ति सहित चार की मौत 25 अप्रैल - गतिरोध बरकार , 87 वर्षीय वृद्ध की भी मौत हुई, तीन दिन में 1800 मरीज लौटे मेडिकल कॉलेज में चल रही तीन दिन की हड़ताल का असर यह हुआ है कि शहर में निजी एंबुलेंस संचालकों ने 30 फीसदी तक दाम बढ़ा दिए हैं। आगरा, नोएडा और दिल्ली रेफर होने वाले मरीजों की संख्या बढ़ी तो एंबुलेंस की मांग भी अचानक बढ़ गई। जिस एंबुलेंस का किराया 1500 से 1800 रुपये तक था वह अब 2200 से 2500 रुपये तक ले रहे हैं।
हमारा आईसीयू फुल है। जो गंभीर मरीज आ रहे हैं, उनको मेडिकल कॉलेज के हायर सेंटर भेजा जा रहा है। डीडीयू अस्पताल में उपचार की सीमित सुविधा है।
साथ ही डॉक्टरों की भी कमी है। अगर मरीजों को जानबूझ कर रेफर किया जा रहा है तो इसकी जांच कराई जाएगी। अस्पतालों में अगर मरीजों का इलाज संभव है तो वहां पर उपचार मिलना ही चाहिए। मलखान सिंह जिला अस्पताल से- 70 डीडी संयुक्त अस्पताल से - 65 निजी नर्सिंग होम व अन्य - 75 जेएन मेडिकल कॉलेज की हड़ताल से दीनदयाल संयुक्त अस्पताल (डीडीयू) पर बोझ लगातार बढ़ रहा है।
मगर यहां पहुंच रहे मरीजों को दवाओं के साथ-साथ डॉक्टरों से उपचार भी नहीं मिल पा रहा। शुक्रवार को कुछ ऐसे ही हालात दिखे।आधा दर्जन डॉक्टरों वाली ओपीडी में एक ही डॉक्टर सुबह से मोर्चा संभाले हुए थे। इसके चलते काफी देर के इंतजार के बाद मरीजों को उपचार मिल सका। दीनदयाल अस्पताल में सामान्य दिनों में 1000 से 1500 तक मरीज ओपीडी में आते हैं।
मगर इन दिनों मेडिकल कॉलेज की इमरजेंसी में हड़ताल के चलते यहां भीड़ बढ़ रही है। शुक्रवार को दिन की ओपीडी 2200 से अधिक रही। वहीं यहां दो चिकित्सकों की इमरजेंसी में ड्यूटी लगा दी गई।
सुबह से ही भीड़ के बावजूद मात्र एक चिकित्सक ओपीडी में थे। जिसके चलते घंटों के इंतजार के बाद लोगों को उपचार मिल सका।
यहां उपचार लेने आए तालशपुर के रमेश, बरोठा के झमनलाल, सिकंदराराऊ के राजकुमार, रामघाट की सावित्री ने बताया कि वह सुबह ही यहां आ गए। मगर चिकित्सक न होने के चलते दोपहर में इलाज मिल सका।
सीएमएस डॉ. एमके माथुर का कहना है कि मेडिकल कॉलेज की हड़ताल से बोझ बढ़ा है। फिर भी व्यवस्थाएं की जा रही हैं।