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संपत्ति कर वसूली में लापरवाही, 1.96 लाख घरों के बिल नहीं पहुंचे; अब ड्रोन सर्वे से सटीक डेटा एकत्र करने की कोशिश?

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संपत्ति कर वसूली करना तो दूर की बात है, नगर निगम तो बिल वितरण में भी नाकाम हो रहा है. वित्तीय वर्ष 2024-25 में 1.96 लाख घरों तक बिल नहीं पहुंचे हैं, जिससे लोगों को डर सता रहा है कि अगर दोनों साल का बिल जुड़कर आएगा तो उन पर संपत्ति कर का बड़ा बोझ भी पड़ेगा. इसके अलावा, नगर निगम के अधिकारी ने बताया कि पिछले जीआईएस सर्वे में कई मकानों और व्यावसायिक संपत्तियों को शामिल ही नहीं किया गया, जिसके कारण बिल वितरण में भारी दिक्कतें आ रही ह%. इन सब समस्याओं को देखते हुए नगर आयुक्त प्रेम प्रकाश मीणा ने शहर के आवासीय और अनावासीय क्षेत्रों का ड्रोन सर्वे कराने का फैसला किया है. इस सर्वे का उद्देश्य सभी संपत्तियों का सटीक डेटा एकत्र करना और बिल वितरण प्रक्रिया को सुचारु करना है. ड्रोन सर्वे के जरिए निगम नए निर्माणों, अवैध निर्माणों, और उन संपत्तियों को चिह्नित करना चाहता है, जो अब तक कर के दायरे से बाहर हैं. लेकिन इस प्रस्ताव पर पार्षदों ने सवाल खड़े किए हैं और ड्रोन सर्वे का विरोध जताया है. पार्षदों का कहना है कि ड्रोन सर्वे से न केवल खर्च बढ़ेगा, बल्कि यह नागरिकों की निजता का उल्लंघन भी हो सकता है. इसको लेकर बुधवार को पार्षद पुष्पेंद्र सिंह जादौन, कुलदीप पांडेय आदि पार्षदों ने नगर आयुक्त को ज्ञापन सौंप सर्वे का विरोध किया है. वहीं दूसरी ओर व्यापारी नेता मनीष अग्रवाल ने दोबारा सर्वे पर विचार करना चाहिए. दोबारा सर्वे से व्यापारियों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा, जो ठीक नहीं है. पहले हुए जीआईएस सर्वे की खामियों को सुधारने के बजाय नया सर्वे कराना जनता पर अतिरिक्त बोझ डालेगा. अब ड्रोन सर्वे के नाम पर निगम फिर से लाखों रुपये खर्च करने जा रहा है. यह जनता के साथ अन्याय है. पहले पुराने डेटा को ठीक किया जाए. ड्रोन सर्वे के नाम पर निगम नागरिकों की निजता का हनन कर सकता है. सर्वे से पहले सभी पार्षदों और नागरिकों से सलाह ली जाए और पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाए. ड्रोन सर्वे के लिए सभी हित धारकों से सलाह ली जाएगी. नागरिकों की निजता का पूरा ध्यान रखा जाएगा. हमारा लक्ष्य निगम की आय बढ़ाना और शहर के विकास को गति देना है. ड्रोन सर्वे से सटीक डेटा मिलेगा. जिससे वसूली प्रक्रिया में सुधार होगा. यह संपत्ति कर वसूली की लापरवाही नगर निगम के लिए बड़ा सवाल है. अगर ड्रोन सर्वे से सटीक डेटा मिले तो वसूली प्रक्रिया में सुधार होगा. लेकिन अगर निगम ने पारदर्शी प्रक्रिया नहीं अपनाई तो लोगों के साथ अन्याय होगा. नगर निगम के अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि वह लोगों के हित को ध्यान में रख कर काम करें. क्योंकि संपत्ति कर वसूली से नगर निगम की आय बढ़ेगी और शहर का विकास होगा. लेकिन इससे पहले निगम को लोगों की निजता का ध्यान रखना होगा. ✅






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