समाज

मरघट की जमीन पर अंतिम संस्कार से विवाद, चैनपुरा गांव में हंगामा क्यों हुआ?

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चैनपुरा गांव में एक सदी से ज्यादा समय से मरघट पर अंतिम संस्कार हो रहे हैं। यह ग्रामसभा की नॉन जेड ए की जमीन है, जिसका पट्टा लेखराज और सुरेश शर्मा ने अपने नाम से करा रखा है। 🌟

लेकिन इस बार जब 13 जून की शाम परिवार के सदस्य मरघट पर पहुंचे तो जगदीश ने विरोध कर दिया। 🌟 उसका कहना था कि उसकी जमीन मरघट के बगल से लगी है, जिसका उपयोग प्लॉटिंग में किया जा सकता है, और अगर मृतक का अंतिम संस्कार होता है तो उनके प्लाट्स की कीमत कम हो जाएगी। यह बात मृतक के परिजन और अन्य लोगों ने सुना तो हंगामा शुरू कर दिया। ✨ मामला इतना बढ़ा कि पुलिस कंट्रोल रूम में सूचना दी गई।

विजयगढ़ थाना पुलिस कर्मियों ने मृतक के शव का अंतिम संस्कार करवाया। लेकिन इस घटना में कई सवाल पैदा होते हैं। क्या है इस जमीन की वास्तविक कीमत? क्या है इस मरघट की महत्ता? क्या है इस गांव के लिए यह जमीन की अहमियत? क्या है इस मरघट पर अंतिम संस्कार की परंपरा? क्या है इस जगदीश का मकसद, जिसने मृतक के परिजन का विरोध किया है? क्या है इस पुलिस के कार्रवाई का मकसद? यह घटना हमें कई सवाल पैदा कर देती है।

क्या है समाज की वास्तविक चेहरा? क्या है सरकार की नियत? क्या है इस गांव की समस्या? क्या है इस मरघट की महत्ता? इस घटना से हमें यह भी पता चलता है कि क्या है यहाँ के लोगों की सोच? क्या है यहाँ के लोगों का मकसद? क्या है यहाँ के लोगों के बीच में प्रेम, मोहब्ब्त, और निष्ठा का स्तर? क्या है यहाँ के लोगों की संकल्पना? यह घटना हमें कई सवाल पैदा कर देती है। लेकिन क्या हमें इसका जवाब मिल पाएगा? क्या हमें इसका ठीक-ठाक जवाब मिल पाएगा? क्या हमें इसका सही जवाब मिल पाएगा?






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