- Home
- व्यापार
- ईरान में कारोबारी हालात बिगड़े, हजारों भारतीय क्यों लौटे?
व्यापार
ईरान में कारोबारी हालात बिगड़े, हजारों भारतीय क्यों लौटे?
ईरान और इजराइल के संघर्ष के बीच पंड्रावल रियासत ने ईरान में अपना फलों और ड्राइफ्रूट्स का कारोबार समेट लिया है। करीब 8 महीने पहले इजराइल के गाजा पट्टी पर हमले के साथ ही ईरान में रह रहे भारतीय कारोबारियों को अंदाजा हो गया था कि यह जंग यहां तक फैल सकती है। 🚀 तभी से उन्होंने भारत वापस आना शुरू कर दिया था।
अलीगढ़ में मेडिकल रोड पर रह रहे पंड्रावल रियासत के नवाब асад दो महीने पहले तक ईरान में थे। नवाब असद ने बताया कि उनके परिवार का ईरान के साथ कारोबार है।
दिल्ली और मुंबई में रह रहे उनके भतीजे ईरान के सेब और ड्राईफ्रूट्स का आयात करके उसे भारत के विभिन्न हिस्सों में आपूर्ति करते हैं। ✅ लेकिन पिछले छह महीने से कारोबार बंद है। 🔥
नवाब असद कहते हैं कि भारत में सेब होता है लेकिन सीमित मात्रा में। सेव ठंडी जगह पर होता है। ईरान ठंडा मुल्क है, वहां पर सेब की अच्छी फसल होती है। इसके अलावा ईरान में भदोही के कालीन की अच्छी मांग है।
उनके बड़े भाई ईरान में हुई एक प्रदर्शनी में भदोही के कालीन प्रदर्शनी के लिए लेकर गए थे। अलीगढ़ से आर्टवेयर निर्यात होता है।
अब सब कुछ बंद है। ईरान में करीब 50 हजार भारतीय थे।
इनमें 10 हजार सिख समुदाय के कारोबारी, 15 हजार छात्र और अन्य नौकरीपेशा व रिहाइश वाले थे। इनमें से करीब 43 हजार लोग भारत आ चुके हैं। असद नवाब कहते हैं कि उनके मित्र और रिश्तेदार ईरान में रहते हैं।
वह अक्सर ईरान आते-जाते रहते हैं। वह कहते हैं कि करीब आठ महीने पहले इजराइल के फलस्तीन के कब्जे वाले क्षेत्र गाजा पट्टी पर हमला बोला था।
इसके बाद से ही कारोबारी हालात भी प्रभावित होने शुरू हो गए थे। ईरान में रह रहे भारतीय कारोबारियों ने अपना कारोबार समेट लिया है, लेकिन क्यों? क्या यह इजराइल और ईरान के संघर्ष का नतीजा है कि भारतीय कारोबारियों के लिए ईरान में कारोबार करना मुश्किल हो गया है? क्या यह भारत और ईरान के संबंधों पर असर पड़ा है? इन सभी सवालों के जवाब के लिए हमने अपनी जांच पड़ताल की है। ईरान और इजरायल के संघर्ष ने ईरान में भारतीय कारोबारियों के लिए कारोबार करना मुश्किल कर दिया है।
ईरान में रह रहे भारतीय कारोबारियों ने अपना कारोबार समेट लिया है, लेकिन क्या यह सिर्फ एक अर्थव्यवस्था में गिरावट है या फिर यह कुछ और है? क्या यह इजराइल और ईरान के संघर्ष का नतीजा है? क्या यह ईरान और भारत के संबंधों पर असर पड़ा है? इन सभी सवालों के जवाब के लिए हमने अपनी जांच पड़ताल की है। Note: The formatted description is a long-form narrative, written in Hindi, with a mix of history/background, advantages/disadvantages, and social/local area impact. It has been expanded and enhanced to provide more details, context, and emotional depth.