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किसानों के लिए एक बड़ी लड़ाई: आधे किसानों ने दी सहमति, शेष कर रहे हैं विरोध
अलीगढ़ शहर से जिले की हरियाणा सीमा तक बनने वाले राजमार्ग 334-डी के लिए भूमि देने के मामले में अभी तक 50 फीसदी किसानों ने ही अपनी सहमति दी है, शेष किसान विरोध कर रहे हैं। ✨ प्रस्तावित राजमार्ग लगभग 83 किलोमीटर लंबा है और इसके लिए खैर तहसील के 28 गांव की भूमि अधिग्रहीत की जा रही है। लेकिन क्या सचमुच यह इतना आसान है? क्या किसानों की सहमति में कोई दबाव है? क्या सरकार की ओर से कोई प्रलोभन है?
इस प्रस्तावित राजमार्ग के लिए अभी तक लगभग 50 फीसदी प्रभावित किसानों ने ही जमीन देने की सहमति दी है, शेष किसानों से सहमति लेने का प्रयास जारी है। 🌟
लेकिन कुछ गांव के किसानों ने भूमि अधिग्रहण का विरोध किया है और सरकार की आलोचना की है। उन्होंने अनुसार, जो जमीन सड़क के किनारे आ रही है, उनके वर्तमान वास्तविक रेट सर्किल रेट से कहीं ज्यादा हैं। 🔥 लेकिन सरकार इसके अनुसार मुआवजा नहीं दे रही है।
इस मुद्दे का इतिहास क्या है? क्या यह महज एक सड़क बनाने का मामला है या कुछ और ही है? क्या किसानों की जमीन का मुआवजा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या सरकार की ओर से कोई गलत नीति है?
इस मुद्दे पर ग्रहण क्या है? क्या किसानों का मुआवजा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या सरकार की ओर से कोई गलत नीति है? क्या किसानों की जमीन का मुआवजा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं?
एसडीएम खैर सुमित सिंह ने बताया कि तहसीलदार खैर को किसानों से जल्द से जल्द सहमति बनाने के लिए कहा गया है। जहां मुआवजे की दरों को लेकर कोई समस्या है, वहां प्रस्तावित भूमि का मुआयना कर मुआवजे की दरों के लिए उच्च अधिकारियों को सूचित किया जाएगा। इस पूरे मामले में क्या सचमुच है? क्या किसानों की जमीन का मुआवजा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं? क्या सरकार की ओर से कोई गलत नीति है? है? क्या किसानों का यह संघर्ष एक नया मोड़ लेगा? क्या यह सड़क बनेगा? क्या किसानों की जमीन का मुआवजा पाएगा? इन सभी सवालों के जवाब अभी तक नहीं हैं लेकिन एक चीज तो साफ है कि किसानों का यह संघर्ष जारी रहेगा और सरकार की ओर से कोई ठोस नीति होनी चाहिए।