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प्रियंका ने साबित कर दिया - देख नहीं सकती तो पढ़ेगी कैसे.. 93 फीसदी अंक हासिल किए हैं!
प्रियंका की कहानी एक प्रेरणा है उन बच्चों के लिए जो छोटी-छोटी परेशानियों के आगे हिम्मत हार जाते हैं। 🚀 प्रियंका कश्यप, आगरा रोड पर मंदिर का नगला निवासी छत्रपाल सिंह की बेटी, कक्षा छह में थी जब उसे ब्रेन ट्यूमर हो गया। ✨
लगातार दर्द बढ़ता रहा और 2019 में परिवार वालों ने प्रियंका का ऑपरेशन करा दिया। ✅ ऑपरेशन के बाद प्रियंका को धुन्धला दिखने लगा और कुछ दिन बाद पूरी तरह से ही दिखना बंद हो गया। जांच हुई तो प्रियंका 80 फीसदी दृष्टिबाधित हो गई और परिवार वाले घबरा गए, लेकिन प्रियंका ने हिम्मत नहीं हारी और अपनी पढ़ाई जारी रखी।
प्रियंका को उसकी बड़ी बहन दीपाली पढ़कर सुनाती और प्रियंका याद कर लेती। दृष्टिबाधित होने के कारण उसे परीक्षा में लिखने के लिए सहायक के रूप में उसकी छोटी बहन निधि मिल गई। प्रियंका सवालों का जवाब देते और निधि लिखती। पहले प्रियंका ने 2023 में 10वीं की परीक्षा दी, जिसमें 79 फीसदी अंक हासिल किए।
इसके बाद बारहवीं की। 13 मई को जब बारहवीं का रिजल्ट आया तो प्रियंका ने 93 फीसदी अंक हासिल किए हैं। प्रियंका के पिता जवाहर नवोदय विद्यालय पलवल हरियाणा में शिक्षक हैं और उनके तीन बेटियां हैं। बड़ी बेटी दीपाली बीएड कर रही है और अब प्रियंका ने बारहवीं पास कर ली।
जबकि सबसे छोटी निधि है। परिवार वालों का कहना है कि प्रियंका के पिता हमेशा उसका हौसला बढ़ाते रहे। बार-बार कहते थे कि वह हर मंजिल हासिल कर सकती है। प्रियंका ने साबित कर दिया कि अगर ठान लिया जाए तो हर मंजिल हासिल की जा सकती है।
प्रियंका की यह कहानी एक प्रेरणा है उन बच्चों के लिए जो छोटी-छोटी परेशानियों के आगे हिम्मत हार जाते हैं। प्रियंका की कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा हिम्मत और मेहनत से आगे बढ़ना चाहिए।
प्रियंका ने अपने पिता के शब्दों पर अमल किया और वह आज 93 फीसदी अंक प्राप्त कर चुकी हैं। प्रियंका की कहानी एक प्रेरणा है उन लोगों के लिए जो अपनी मंजिल पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। प्रियंका की कहानी हमें यह बताती है कि दृष्टिबाधित होने के कारण कोई भी पढ़ाई से पीछे नहीं रहता है और वह भी सफलता पा सकता है अगर वह मेहनत और हिम्मत से आगे बढ़ता है। प्रियंका की कहानी हमें सिखाती है कि परिवार का समर्थन और मार्गदर्शन बहुत महत्वपूर्ण होता है किसी की सफलता में।
प्रियंका की कहानी एक प्रेरणा है उन लोगों के लिए जो अपने परिवार का साथ पाना चाहते हैं और सफलता पाना चाहते हैं।