स्वास्थ्य

चिकित्सक नहीं लिख रहे जेनेरिक दवाएं, आठ लाख रुपये की दवाओं की निकल जाती है इस्तेमाल की तारीख 🏥💊

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चिकित्सकों के जेनेरिक दवाएं न लिखे जाने से हाथरस जिले में करीब आठ लाख रुपये कीमत की जेनेरिक दवाओं की रखे-रखे ही इस्तेमाल करने की अंतिम तारीख निकल जाती है। ✅ इससे होने वाले नुकसान से बचने के लिए इन केंद्रों के संचालक दवाओं का सीमित स्टॉक ही रख रहे हैं। ✅ कम दवाएं होने से मरीजों को भी समस्या होती है और उन्हें दवा नहीं मिल पाती। 🚀

मरीजों को सस्ती जेनेरिक दवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने प्रधानमंत्री जन औषधि योजना शुरू की थी। इसके तहत जिले में 16 जन औषधि केंद्र खोले गए थे, इनमें से दस ही फिलहाल चल रहे हैं।

इनपर मिलने वाली दवाएं ब्रांडेड दवाओं के समान ही होती है, लेकिन कीमत काफी कम होती है। चिकित्सक जेनेरिक दवाओं की जगह बड़ी कंपनियों की दवाएं लिखते हैं। जन औषिध केंद्र संचालकों का कहना है कि एक केंद्र पर हर साल करीब 80,000 रुपये कीमत की दवा एक्सपायर्ड हो जाती हैं। सीमित दवाएं रखने से जो मरीज जन औषधि केंद्रों पर पहुंचते हैं, उन्हें दवा नहीं मिल पाती।

चिकित्सक जेनेरिक दवाएं नहीं लिखते हैं। इससे काफी दवाएं दुकान में रखी रहती हैं।

जिले में जन औषधि केंद्रों पर हर साल करीब आठ लाख रुपये कीमत की दवाएं एक्सपायर्ड हो जाती हैं। दवाओं की बिक्री अधिक नहीं होती है।

इससे दवाओं की इस्तेमाल करने की तारीख निकल जाती है। इससे आर्थिक नुकसान सहन करना पड़ता है।

जिले में 16 जन औषधि केंद्र खोले गए थे। इनमें से छह दुकानों के संचालकों ने लाइसेंस सरेंडर कर दिया है। जिले में दस और जन औषधि केंद्र खोले जाने हैं।






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