समाज

पाइंदापुर में किसान नेता की चाची का निधन: परिवार ने मृत्युभोज की घोषणा क्यों की?

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गोंडा के गांव पाइंदापुर में किसान नेता सतीश चौधरी की 70 वर्षीय चाची बसंती देवी पत्नी विजय सिंह के निधन पर सामाजिक और राजनीतिक हलचल मच गई। ✅ यह घटना न केवल किसान नेता के परिवार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे गांव के लिए भी एक बड़ा झटका है। सतीश चौधरी की चाची बसंती देवी एक सामाजिक प्रतिष्ठा की धनी थीं। 🌟

वे हमेशा समाज के लिए कार्य करती थीं और किसानों के हक की लड़ाई लड़ती थीं। उनके निधन से पूरा गांव शोक में डूब गया है। 🌟 बाबा अमानी सिंह लगसमा सुधारक समिति के अध्यक्ष राकेश प्रधान और गोंडा किसान संघर्ष समिति के अध्यक्ष रवीकरन सिंह ने गांव पहुंच शोक संतप्त परिवार को ढांढस बंधाया। सभी ने मौन धारण कर दिवंगत की आत्म शांति की प्रार्थना की।

समिति ने दिवंगत के पुत्रों पुष्पेंद्र उर्फ बंटी और विपिन कुमार से मृत्युभोज नहीं करने का आग्रह किया तो परिवार ने मृत्युभोज बहिष्कार की घोषणा कर दी। इस मौके पर विजेंद्र सिंह, देवेंद्र सिंह, योगेंद्र सिंह, सतेंद्र सिंह, हरपाल सिंह मौजूद रहे। पूरा गांव इस घटना से स्तब्ध है और लोग इस घटना की निंदा कर रहे हैं। किसान नेता की चाची के निधन से पूरे गांव में शोक की लहर है और लोग इस घटना की जांच की मांग कर रहे हैं।

इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि समाज में किसान का महत्व कितना है। किसान नेता की चाची के निधन से गांव में शोक की लहर है, लेकिन इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए।

यह घटना न केवल किसान नेता के परिवार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे गांव के लिए भी एक बड़ा झटका है। यह घटना हमें सामाजिक जिम्मेदारी की याद दिलाती है कि हमें अपने समाज के लिए क्या करना चाहिए। इस घटना से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने समाज के प्रति कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए।

निष्कर्ष में, यह घटना हमें सामाजिक जिम्मेदारी की याद दिलाती है और हमें अपने कर्तव्य का निर्वहन करना चाहिए। यह घटना न केवल किसान नेता के परिवार के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पूरे गांव के लिए भी एक बड़ा झटका है।






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