समाज

अलीगढ़ में पानी का संकट! 25 साल में 100 फुट गिरा भूजल स्तर, क्या आने वाले सालों में बड़े जल संकट का सामना करना पड़ेगा?

  • Share on Facebook
अलीगढ़ महानगर में भूजल स्तर लगातार गिर रहा है। पिछले 25 साल में 100 फुट तक पानी नीचे खिसक गया है।

जिसका बड़ा कारण पानी की बर्बादी तो है ही साथ ही तालाबों का खत्म होना भी एक बड़ी वजह है। 🔥 आशंका व्यक्त की जा रही है कि यदि अतिदोहन के चलते भूजल के स्तर में गिरावट की रफ्तार यही रही तो आने वाले कुछ वर्षों में ही शहर को बड़े जल संकट का सामना करना पड़ सकता है। ✅

अलीगढ़ में पानी की बर्बादी बड़े पैमाने पर हो रही है। शहरभर में मनमाने तरीके से सबमर्सिबल लगवाए जा रहे हैं, जिनसे भूजल की बड़ी खपत हो रही है। 🔥 इसे नियंत्रित करने में नगर निगम फेल साबित हो रहा है।

हालात यहां तक खराब हैं कि लोगों ने घरों के अलावा सड़क पर सबमर्सिबल लगा लिए हैं। इस संकट का सामना करने के लिए नगर निगम ने 40 कर्मचारियों की टीम बनाई है, जो क्षेत्रों में जाकर जल आपूर्ति से जुड़ी समस्या का समाधान कराएंगे। पुराने शहर के लोग जल संकट से ज्यादा परेशान हैं।

मानिक चौक, देहलीगेट, ऊपरकोट, जयगंज, सासनीगेट क्षेत्र में भूजल स्तर में ज्यादा गिरावट है। सबसे ज्यादा ऊंचा क्षेत्र ऊपर कोट है जहां 400 फुट पर पानी है। इसी तरह जयगंज, सासनीगेट में पीने योग्य पानी 250 फुट पर है। फाइलों में बंद गंगा वाटर प्रोजेक्ट भूजल का उपयोग कम करने के लिए गंगा वाटर प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया।

जल निगम ने 600 करोड़ रुपये की डीपीआर बनाकर शासन को भेजी थी, लेकिन छह साल से यह प्रोजेक्ट फाइलों में ही बंद है। इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से भूजल पर निर्भरता कुछ कम हो जाएगी।

15 लाख तक पहुंच गई शहर की आबादी 90 वार्ड हैं नगर निगम के क्षेत्र में 100 किलोमीटर स्क्वायर हुआ नगर निगम का क्षेत्रफल रोज पानी की डिमांड - 230 एमएलडी रोज पानी की आपूर्ति - 190 एमएलडी रोज प्रति व्यक्ति पानी की मांग - 135 लीटर रोज प्रति व्यक्ति पानी की सप्लाई - 90 लीटर पानी कनेक्शन - 91 हजार पाइप लाइन - 1400 किलोमीटर हैंडपंप - 5089 खराब हैंडपंप - 1593 नलकूप - 178 मिनी नलकूप - 40 वाटर टैंकर - 30 नग इसके अलावा नगर निगम के 178 बड़े नलकूप हैं, जिनकी मोटरें दबाव के चलते आए दिन फुंकती रहती हैं। इसके चलते संबंधित क्षेत्रों में जल संकट छा जाता है। 20 से अधिक नलकूप खराब पड़े हैं। हाल ही में 40 मिनी नलकूप मंजूर हुए हैं, जिनमें से 25 चालू हो चुके हैं।

ये नलकूप क्षेत्रों में सीधी सप्लाई दे रहे हैं। इसके अलावा 5089 हैंडपंप हैं, जिनमें से 1593 खराब पड़े हैं। इसका बड़ा कारण उन क्षेत्रों में भूजल स्तर गिरना है।

महानगर में नगर निगम के 178 बड़े नलकूप हैं, जिनकी मोटरें दबाव के चलते आए दिन फुंकती रहती हैं। इसके चलते संबंधित क्षेत्रों में जल संकट छा जाता है। 20 से अधिक नलकूप खराब पड़े हैं।

हाल ही में 40 मिनी नलकूप मंजूर हुए हैं, जिनमें से 25 चालू हो चुके हैं। ये नलकूप क्षेत्रों में सीधी सप्लाई दे रहे हैं।

इसके अलावा 5089 हैंडपंप हैं, जिनमें से 1593 खराब पड़े हैं। इसका बड़ा कारण उन क्षेत्रों में भूजल स्तर गिरना है।

नगर निगम के जेई नरेंद्र सिंह ने बताया कि शहर के जल संकट से निपटने के लिए 40 कर्मचारियों की टीम बनाई है, जो क्षेत्रों में जाकर जल आपूर्ति से जुड़ी समस्या का समाधान कराएंगे। पुराने शहर के लोग जल संकट से ज्यादा परेशान हैं। मानिक चौक, देहलीगेट, ऊपरकोट, जयगंज, सासनीगेट क्षेत्र में भूजल स्तर में ज्यादा गिरावट है।

सबसे ज्यादा ऊंचा क्षेत्र ऊपर कोट है जहां 400 फुट पर पानी है। इसी तरह जयगंज, सासनीगेट में पीने योग्य पानी 250 फुट पर है। फाइलों में बंद गंगा वाटर प्रोजेक्ट भूजल का उपयोग कम करने के लिए गंगा वाटर प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया गया। जल निगम ने 600 करोड़ रुपये की डीपीआर बनाकर शासन को भेजी थी, लेकिन छह साल से यह प्रोजेक्ट फाइलों में ही बंद है।

इस प्रोजेक्ट के शुरू होने से भूजल पर निर्भरता कुछ कम हो जाएगी।






Leave a Reply

Login Here