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मंडलायुक्त ने लिया संज्ञान, अलीगढ़ में जन्म प्रमाण पत्र का घोटाला उजागर!

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алीगढ़ नगर निगम में भले ही जन्म प्रमाण पत्र बनाने के लिए कड़े नियम और सख्त जांच की व्यवस्था की गई हो, लेकिन निगम के बाहर बैठे एजेंट 4000 रुपये लेकर 15 दिन में जन्म प्रमाण पत्र बनवा रहे हैं। यह लोग अस्पताल में जन्म से संबंधित दस्तاوेज भी उपलब्ध कराने का दावा कर रहे हैं। 🚀 मंडलायुक्त संगीता सिंह ने अलीगढ़ के अमर उजाला में प्रकाशित समाचार ''चार हजार खर्च कीजिए, 100 साल के व्यक्ति का भी जन्म प्रमाण पत्र बन जाएगा...'' का संज्ञान लिया है। 🌟

उन्होंने संबंधित अधिकारियों को इस मामले में आवश्यक कार्रवाई के दिशा-निर्देश देकर जवाब तलब किया है। 🌟 यह मामला अलीगढ़ नगर निगम की कार्यप्रणाली पर प्रश्न चिह्न लगाता है। ऐसा लगता है कि नगर निगम के नियम और व्यवस्था में कोई कमी है, जिसके कारण एजेंटों को लाभ मिल रहा है। यह न केवल नगर निगम की छवि को धूमिल करता है, बल्कि जनसमस्याओं के लिए जिम्मेदारी का भी टालमटोल करता है।

मीडिया द्वारा उजागर की गई जनसमस्याएं वास्तविकता को सामने लाती हैं, जिन्हें प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाना चाहिए। संबंधित विभागीय अधिकारियों की जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। हर समस्या का प्रभावी और समयबद्ध समाधान अनिवार्य है।

यह मामला एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या नगर निगम में इतनी बड़ी लापरवाही संभव है? क्या एजेंटों को इतना अधिकार मिला हुआ है कि वे 4000 रुपये लेकर जन्म प्रमाण पत्र बनवा सकें? ऐसे मामलों में मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण है, क्योंकि वह समाज का आईना है और वही लोगों की समस्याओं को सामने ला सकता है। यह मामला एक चेतावनी है कि नगर निगम के अधिकारियों की जिम्मेदारी और बढ़ गई है।

अब यह उनकी जिम्मेदारी है कि वे इस मामले में उचित कार्रवाई करें और इस प्रकार की लापरवाही को रोकें। साथ ही, मीडिया की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी, क्योंकि वह लोगों की समस्याओं को सामने ला सकता है और नगर निगम की कार्यप्रणाली में सुधार ला सकता है।






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