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अलीगढ़ में ऐसे परिवार जहां 22 लोगों का खाना एक साथ, चार पीढ़ियां रहतीं एक छत के नीचे

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आज संयुक्त परिवार ख़त्म होते जा रहे हैं। हर कोई छोटे परिवार को महत्व दे रहा है। वहीं अलीगढ़ में कई परिवार ऐसे भी हैं जहां बीस-बीस लोग रहते हैं। ✨ एक ही चूल्हे पर खाना बनता है।

एक ही घर में सभी रहते हैं। शाम को जब सभी खाना खाने के लिए बैठते हैं तो उत्सव जैसा माहौल बन जाता है।

महिलाओं ने भी काम बांट रखे हैं। यह सभी एक दूसरे के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं। तहसील गभाना क्षेत्र के गांव बीधानगर के 80 वर्षीय राजवीर सिंह विद्युत विभाग से सेवानिवृत हैं। इनका एक संयुक्त परिवार है। ✅

परिवार में कुल 15 सदस्य हैं। ✅ एक छत के नीचे न सिर्फ तीन पीढ़ियां एक साथ में रहती हैं, बल्कि संयुक्त रूप से खाना भी एक साथ ही खाते हैं। राजवीर सिंह की पत्नी कुसुमलता गृहिणी हैं।

इनके तीन बेटें हैं। जिसमें सबसे बड़े वीरेंद्र प्रताप सिंह शिक्षामित्र हैं।

इनकी पत्नी रानी देवी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता हैं। दंपती के पास दो बेटी व एक बेटा है। एक बेटी की शादी हो चुकी है। दूसरी बेटी श्राविका कासिमपुर में विद्युत विभाग में जेई के पद पर तैनात है।

बेटा लवेश प्रताप एएमयू से बीटेक की पढ़ाई कर रहा है। राजवीर के दूसरे नंबर के बेटे यजुवेंद्र प्रताप सिंह व छोटे बेटे प्रवेंद्र प्रताप सिंह किसान हैं। दोनों की पत्नियां गृहणी हैं।

यजुवेंद्र पर दो बेटे हैं। बड़ा बेटा ऋषभ प्रताप सिंह डीएस काॅलेज से एलएलबी, छोटा बेटा पुष्कर प्रताप सिंह मैनपुर के राजकीय इंजीनियरिंग काॅलेज से बीटेक की पढ़ाई कर रहा है।

प्रवेंद्र प्रताप सिंह तीन बच्चों के पिता हैं। इसमें रिंकल एमएसी, बेटा शिवम प्रताप सिंह मैकेनिकल से डिप्लोमा, बेटी टिंकल हाईस्कूल की छात्रा है। घर के सभी नियम तय हैं। सभी छोटे सदस्य सुबह घर से कहीं भी जाने से पहले सामूहिक पूजा-अर्चना करते हैं और अपने बड़े सदस्यों से उनका आशीर्वाद लेकर ही निकलते हैं।

घर की महिलाएं भी सामूहिक रूप से एक ही चूल्हे पर खाना पकाती हैं। शाम के समय सभी सामूहिक भोजन करते हैं। सरकोड़ा परिवार की चार पीढ़ियां एक साथ मूल रूप से सिकंदराराऊ (हाथरस) निवासी सरकोड़ा परिवार के मुखिया सुरेश चंद्र वार्ष्णेय व उनकी धर्मपत्नी सौभाग्यवती वार्ष्णेय ने वर्ष 1983 में बेटे उमेश सरकोड़ा व राजेश सरकोड़ा को पढ़ने के लिए अलीगढ़ भेजा था। यहीं वर्ष 1989 में बड़े बेटे उमेश सरकोड़ा ने गोपालपुरी में सरकोड़ा का कारखाना लगाया।

इसके बाद परिवार पला रोड, सासनीगेट पर रहने लगा। परिवार में चार पीढ़ी शामिल हैं और इसमें 22 सदस्य एक साथ ही रहते हैं।

उमेश सरकोड़ा के बाद छोटे भाई राजेश व मुकेश बंशी भी इस काम में बड़े भाई के साथ जुड़े गए। इस व्यवसाय को गगनेश, सचिन एवं लवलेश ने नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया। परिवार में उमेश चंद्र सरकोड़ा, पूनम सरकोड़ा:, राजेश सरकोड़ा:, प्रीति सरकोड़ा मुकेश सरकोड़ा बंशी, पूनम वार्ष्णेय पौत्र- पौत्र वधू गगनेश वार्ष्णेय, आकांक्षा वार्ष्णेय, सचिन वार्ष्णेय, अर्चिता वार्ष्णेय, लवलेश वार्ष्णेय, आकृति वार्ष्णेय, पौत्र अभय वार्ष्णेय, पौत्री रिया वार्ष्णेय, अंचला वार्ष्णेय, प्रिया वार्ष्णेय, पантी एवं पंतिनी विआन, अव्यान, प्रिशा शामिल हैं।

शहर के अचलताल स्थित बजरंग मार्केट में रहने वाले संस्कार भारती संस्था के संस्थापक व टेलरिंग का व्यवसाय करने वाले राजाराम मित्र का भरा पूरा परिवार है। इसमें 21 सदस्य शामिल हैं। पूरा परिवार एकता के सूत्र में बंधा हुआ है। परिवार के सदस्य गन हाउस, स्टेशनरी, पीतल मूर्ति शोरूम के कारोबार के साथ ही समाजसेवा के क्षेत्र में विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से जुड़े हुए हैं।

भले ही सबके कारोबार अलग-अलग हों, लेकिन घर की छत एक ही है और खाना भी एक ही रसोई में बनता है। खुशियों के सारे तीज, त्योहार भी सभी मिलकर मनाते हैं। राजा राम मित्र के परिवार में नितिन वार्ष्णेय, सरिता वार्ष्णेय, रतन वार्ष्णेय मित्र, ममता गुप्ता, विपिन राजाजी, वंदना वार्ष्णेय, भुवनेश वार्ष्णेय आधुनिक, दीपिका वार्ष्णेय, रंजन वार्ष्णेय आधुनिक, अंजना वार्ष्णेय, वरुण वार्ष्णेय, मोनिका, सक्षम वार्ष्णेय, अभिनव वार्ष्णेय, तनिष्क वार्ष्णेय, मोहित वार्ष्णेय, लव वार्ष्णेय, शुभांगी वार्ष्णेय, यशी वार्ष्णेय शामिल हैं।

इस तरह के संयुक्त परिवार के साथ ह साथ ही अलीगढ़ में कई परिवार हैं जहां 15 से 22 सदस्य एक साथ रहते हैं और संयुक्त रूप से खाना बनाते हैं और साथ ही समाज सेवा में भी साथ काम कर रहे हैं। इन परिवारों में सभी सदस्य एक दूसरे के लिए हर वक्त तैयार रहते हैं और सभी सामूहिक भोजन करते हैं। यह परिवार अलीगढ़ की एक अलग पहचान है जहां संयुक्त परिवार की महत्ता को दिखाता है।






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