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'2500 रजिस्ट्री फंसीं, अधिवक्ताओं की हड़ताल से पूरे प्रदेश में हलचल'

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तहसील स्तर पर लोगों के काम को सुविधाजनक बनाने के लिए फ्रंट ऑफिस शुरू किए जाने का प्रस्ताव है। 🔥 इस प्रस्ताव के विरोध में जिले के तहसील राजस्व बार के अधिवक्ता पिछले 10 दिनों से हड़ताल पर हैं। 🔥

इन 10 दिनों में हड़ताल के चलते पांचों तहसीलों में लगभग 2500 रजिस्ट्री नहीं हो सकी हैं। कार्यदिवस में इन तहसीलों में तकरीबन 250 रजिस्ट्री होती हैं। 🔥 इसके अलावा नामांतरण, खसरा खतौनी निकलवाने तक के लिए लोग परेशान हैं। अन्य काम भी अटके हैं।

कोल तहसील राजस्व बार के पदाधिकारियों ने ऐलान किया है कि फ्रंट ऑफिस का फैसला सरकार ने वापस नहीं लिया तो बड़ा आंदोलन किया जाएगा। क्या कहते हैं अधिवक्ता जो काम अब तक अधिवक्ता, कातिब और अन्य तहसील कर्मी करते थे, अब उसे निजी हाथों में सौंपने की तैयारी की जा रही है। यह नहीं होने दिया जाएगा। फ्रंट ऑफिस के फैसले से अधिवक्ता और उनसे जुड़ा स्टाफ बेरोजगार हो जाएगा।

इस क्षेत्र में निजी एजेंसी और लोगों का दखल हो जाएगा। यह फैसला अधिवक्ता विरोधी है। पूरे प्रदेश का समर्थन हमें मिल रहा है।

सरकार को अपना फैसला वापस लेना पड़ेगा। तब तक हम धरने पर हैं। एक हफ्ते से तहसील में चक्कर लगा रहा हूं लेकिन काम नहीं हो पा रहा है, इतंजार है कि हड़ताल खत्म हो। मैं हाजीपुर से आई हूं, तीन दिन से खतौनी निकलवाने के लिए परेशान हूं।

हड़ताल के चलते काम नहीं हो पा रहा। हमारे कार्यालयों की मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए सूचनाएं मांगी गई हैं। अधिवक्ताओं ने नगीना सांसद से की अपील, धरने पर आएं नगीना के सांसद चंद्रशेखर से तहसील अधिवक्ताओं ने अपील की है कि वह समय निकालकर धरने में शामिल हों।

इस संबंध में तहसील राजस्व बार एसोसिएशन की ओर से पत्र भेजा गया है। तहसील कोल सहित प्रदेश की 143 तहसीलों के निबंधन कार्यालयों में फ्रंट ऑफिस के विरोध में चल रहे अधिवक्ताओं के आंदोलन में शनिवार को पूर्व विधायक विवेक बंसल और सपा नेता एवं पूर्व सांसद चौधरी विजेंद्र सिंह शामिल हुए। अधिवक्ताओं ने तहसील दिवस के चलते प्रशासनिक अधिकारियों के सामने फ्रंट ऑफिस के विरोध में नारेबाजी कर प्रदर्शन किया और सरकार से फ्रंट ऑफिस खोले जाने के फैसले को वापस लेने की मांग की। अध्यक्षता विजय सिंह तेवतिया ने की और संचालन महेंद्र सिंह धाकड़े ने किया।

इस माैके पर अनुज राघव, दीपक वर्मा, ओपी सिंह, चतुर सिंह, वेदप्रकाश शर्मा, राजबहादुर, रहीमुद्दीन, रामगोपाल, निधीश भट्ट, संजय कुमार आदि मौजूद रहे। इस हड़ताल से तहसील स्तर पर लोगों के काम को सुविधाजनक बनाने के प्रयासों पर पानी फिर से फेर दिया है। सरकार का इस मामले में क्या रुख रहेगा, यह देखना होगा।

क्या अधिवक्ताओं की मांग पूरी होगी? क्या सरकार फ्रंट ऑफिस के फैसले को वापस लेगी? इन सवालों के जवाब की तलाश में करनी होगी।






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