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बिजली की मर्जी से सिंचाई की तलवार, किसान और बागवानों की चिंता बढ़ी!
गांवों में बिजली की आपूर्ति का दावा है, लेकिन सुबह-शाम दो शिफ्ट में बिजली ही मिल पा रही है। 💡 मक्का और बाजरा के खेतों और आड़ू, जामुन, आम और अमरूद के बागों में सिंचाई नहीं हो पा रही है।
इससे फसलों पर प्रभाव पड़ने की आशंका में किसान और बागवान दोनों ही चिंतित हैं। क्या यह सिर्फ एक संयोग है या वास्तव में एक बड़ा मुद्दा है, जिसके पीछे की वजह किसानों और बागवानों के लिए एक बड़ा संकट है?
पिछले कुछ सालों में किसानों ने मक्का और बाजरा की फसल की सिंचाई के लिए बिजली पर निर्भर हैं। ✨ लेकिन अब बिजली की आपूर्ति का दावा है, लेकिन छह घंटे ही मिल पा रहा है।
किसानों के मुताबिक, दिन में दो बिजली की आपूर्ति में लो वोल्टेज की समस्या है, जिसके कारण में मक्का और बाजरा की फसल में सिंचाई नहीं हो पा रही है। किसान मानी चौधरी, अमरपाल सिंह, प्रताप सिंह कुंतल ने कहा कि गांवों में दस घंटे बिजली देने का विद्युत विभाग का दावा हकीकत से कोसो दूर है। 💡
इसके अलावा आए दिन तार टूटकर गिरते हैं, जिसके कारण फाल्ट होने से आपूर्ति बाधित रहती है। किसानों ने एक बार में ही छह घंटे की बिजली आपूर्ति सुनिश्चित किए जाने की मांग की है। सुबह चार और शाम दो घंटे ही बिजली की आपूर्ति मिल रही है। इससे फसलों की सिंचाई प्रभावित हो रही है।
मक्का-बाजरा सहित फलों के बागों में सिंचाई की बेहद जरूरत है। सभी किसान दो शिफ्ट में मिल रही आपूर्ति नहीं चाहते। पहले की तरह ही एक बार में पूरी आपूर्ति दी जाए। ऐसा न होने पर किसान बिजलीघरों पर प्रदर्शन करने पर बाध्य होंगे।
लो वोल्टेज की समस्या दूर करने के लिए बिजलीघर में आवश्यक कार्य कराए जा रहे हैं। जल्द ही लो वोल्टेज की समस्या दूर होगी। आपूर्ति कंट्रोल रूम के रोस्टर के अनुसार ही दी जा रही है।
यह मुद्दा सिर्फ किसानों और बागवानों का नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक बड़ा संकट है, जिसके हल करना जरूरी है। क्या यह सिर्फ एक संयोग है या वास्तव में एक बड़ा मुद्दा है, जिसके पीछे की वजह किसानों और बागवानों के लिए एक बड़ा संकट है? इस पर जल्द ही कोई समाधान निकलना चाहिए।